"अंधविश्वास": अवतरणों में अंतर

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आदिम मनुष्य अनेक क्रियाओं और [[दृग्विषय|घटनाओं]] के कारणों को नहीं जान पाता था। वह अज्ञानवश समझता था कि इनके पीछे कोई अदृश्य [[शक्ति]] है। वर्षा, बिजली, रोग, [[भूकम्प|भूकंप]], वृक्षपात, विपत्ति आदि अज्ञात तथा अज्ञेय [[देवता|देव]], [[भूत]], प्रेत और पिशाचों के प्रकोप के परिणाम माने जाते थे। ज्ञान का प्रकाश हो जाने पर भी ऐसे विचार विलीन नहीं हुए, प्रत्युत ये अंधविश्वास माने जाने लगे। आदिकाल में मनुष्य का क्रिया क्षेत्र संकुचित था इसलिए अंधविश्वासों की संख्या भी अल्प थी। ज्यों ज्यों मनुष्य की क्रियाओं का विस्तार हुआ त्यों-त्यों अंधविश्वासों का जाल भी फैलता गया और इनके अनेक भेद-प्रभेद हो गए। अंधविश्वास सार्वदेशिक और सार्वकालिक हैं। [[विज्ञान]] के प्रकाश में भी ये छिपे रहते हैं। अभी तक इनका सर्वथा उच्द्वेद नहीं हुआ है।
भारत में अंध विश्वास की जड़े बहुत गहरी हो चुकी हैं, ब्राह्मण साहित्य का इसमें प्रमुख योगदान है ll
कुछ लोग आस्था के नाम पर अंधविश्वास की पैरवी करते हैं तथा अन्धविश्वास ओर आस्था को पूरक मानते हैं जबकि आस्था विश्वास की पूरक हैं और अंधविश्वास अज्ञानता का पूरक हैं। हमारे समाज में जो अन्धविश्वास के खिलाफ बोलता है तो उसे नास्तिक होने का तमका दे दिया जाता है।
 
== अंधविश्वासों का वर्गीकरण ==