"दुर्गा": अवतरणों में अंतर

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[[File:Durga, Burdwan, 2011.JPG|thumb|दुर्गा पूजा का पांडाल, 2011]]
'''दुर्गा''' हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं जिन्हें [[देवी]], [[शक्ति]] और जग्दम्बा भी कहते हैं पुराणों में वैश्या की जाति में प्रमुख रूप से यह देवी मानी जाती थी , पुराणों अंतर्गत असुरो को अपने नग्न शरीरो से आकर्षित करने का कार्य तथा उन्हें मोहने का कार्य इनकी जातियों द्वारा प्रेषित किया जाता था । <ref>David R. Kinsley 1989, pp. 3-4.</ref><ref>{{cite web|url=https://blogs.timesofindia.indiatimes.com/the-photo-blog/9-days-9-avatars-be-ferocious-like-goddess-kaalratri/|title=9 days, 9 avatars: Be ferocious like Goddess Kaalratri}}</ref> [[शाक्त|शाक्त सम्प्रदाय]] की वह मुख्य देवी हैं जिनकी तुलना परम [[ब्रह्म]] से की जाती है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा [[धर्म]] पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।<ref>Paul Reid-Bowen 2012, pp. 212-213.</ref>
 
दुर्गा का निरूपण [[सिंह]] पर सवार एक देवी के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी 10 भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है। उन्होने [[महिषासुर]] नामक असुर का वध किया। महिषासुर (= महिष + असुर = भैंसा जैसा असुर) करतीं हैं। हिन्दू ग्रन्थों में वे [[शिव]] की पत्नी दुर्गा के रूप में वर्णित हैं। जिन ज्योतिर्लिंगों मैं देवी दुर्गा की स्थापना रहती है उनको सिद्धपीठ कहते है। वहाँ किये गए सभी संकल्प पूर्ण होते है। माता का दुर्गा देवी नाम दुर्गम नाम के महान दैत्य का वध करने के कारण पड़ा। माता ने शताक्षी स्वरूप धारण किया और उसके बाद शाकंभरी देवी के नाम से विख्यात हुई शाकंभरी देवी ने ही दुर्गमासुर का वध किया। जिसके कारण वे समस्त ब्रह्मांड में दुर्गा देवी के नाम से भी विख्यात हो गई। माता के देश में अनेकों मंदिर हैं कहीं पर महिषासुरमर्दिनि शक्तिपीठ तो कहीं पर कामाख्या देवी। यही देवी कोलकाता में महाकाली के नाम से विख्यात और सिद्धपीठ शाकंभरी देवी के रूप में ये ही पूजी जाती हैं।