"रामायण": अवतरणों में अंतर

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हृदय परिवर्तन हो जाने के कारण एक दस्यु से ऋषि बन जाने तथा ज्ञान प्राप्ति के बाद [[वाल्मीकि]] ने भगवान श्री राम के इसी वृतान्त को पुनः श्लोकबद्ध किया। महर्षि वाल्मीकि के द्वारा श्लोकबद्ध भगवान श्री राम की कथा को [[वाल्मीकि रामायण]] के नाम से जाना जाता है। वाल्मीकि को [[वाल्मीकि|आदिकवि]] कहा जाता है तथा ''वाल्मीकि रामायण'' को ''आदि रामायण'' के नाम से भी जाना जाता है।
 
देश में विदेशियों की सत्ता हो जाने के बाद [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] का ह्रास हो गया {{Citation needed}} और भारतीय लोग उचित ज्ञान के अभाव तथा विदेशी सत्ता के प्रभाव के कारण अपनी ही [[संस्कृति]] को भूलने लग गये।{{Citation needed}} ऐसी स्थिति को अत्यन्त विकट जानकर जनजागरण के लिये महाज्ञानी सन्त श्री तुलसीदास जी ने एक बार फिर से भगवान श्रीराम की पवित्र कथा को देशी (अवधी) भाषा में लिपिबद्ध किया। सन्त तुलसीदास जी ने अपने द्वारा लिखित भगवान श्रीराम की कल्याणकारी कथा से परिपूर्ण इस ग्रंथ का नाम [[श्रीरामचरितमानस|रामचरितमानस]]{{Ref_label|रामचरितमानस|ङ|none}} रखा। सामान्य रूप से रामचरितमानस को [[श्रीरामचरितमानस|तुलसी रामायण]] के नाम से जाना जाता है।<ref>{{Cite web|url=https://aajtak.intoday.in/story/uttar-ramayan-luv-kush-tells-ramkatha-to-shri-ram-people-get-emotional-share-experience-tmov-1-1186615.html|title=उत्तर रामायण: लव-कुश ने श्रीराम को सुनाई रामकथा, देखकर भावुक हो गए लोग|last=|first=|date=|website=आज तक|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
 
कालान्तर में भगवान श्रीराम की कथा को अनेक विद्वानों ने अपने अपने बुद्धि, ज्ञान तथा मतानुसार अनेक बार लिखा है। इस तरह से अनेकों रामायणों की रचनाएँ हुई हैं।