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हिंदू कथाओं में '''अप्सरा''' देवलोक की नृत्यांगनायें हैं। इनमें से प्रमुख हैं [[उर्वशी]], [[रंभा|रम्भा]], [[मेनका]] आदि।
 
==<span lang="Hi" dir="ltr">परिचय</span>==
== परिचय ==
प्रत्येक [[धर्म]] का यह विश्वास है कि स्वर्ग में पुण्यवान् लोगों को दिव्य सुख, समृद्धि तथा भोगविलास प्राप्त होते हैं और इनके साधन में अन्यतम है अप्सरा जो काल्पनिक, परंतु नितांत रूपवती स्त्री के रूप में चित्रित की गई हैं। यूनानी ग्रंथों में अप्सराओं को सामान्यत: 'निफ' नाम दिय गया है। ये तरुण, सुंदर, अविवाहित, कमर तक वस्त्र से आच्छादित और हाथ में पानी से भरे हुआ पात्र लिए स्त्री के रूप में चित्रित की गई हैं जिनका नग्न रूप देखनेवाले को पागल बना डालता है और इसलिए नितांत अनिष्टकारक माना जाता है। जल तथा स्थल पर निवास के कारण इनके दो वर्ग होते हैं।
 
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[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार तपस्या में लगे हुए तापस मुनियों को समाधि से हटाने के लिए [[इन्द्र|इंद्र]] अप्सरा को अपना सुकुमार, परंतु मोहक प्रहरण बनाते हैं। इंद्र की सभा में अप्सराओं का नृत्य और गायन सतत आह्लाद का साधन है। [[घृताची]], [[रंभा]], [[उर्वशी]], [[तिलोत्तमा]], [[मेनका]], [[कुंडा]] आदि अप्सराएँ अपने सौंदर्य और प्रभाव के लिए पुराणों में काफी प्रसिद्ध हैं।
 
Apsra ko devi ka rup mana jata hai , ushe matarbhau se dekha hatajata hai , ushe maa ke rup mein puja jata hai, kuch sadhak Apsra sadhna karte hain aur unshe jeevan ke gudh rahshay ke bare pata karte hai aur jeevan aur mrityu ke bare pata karte aur moksha ke kamanarastay ke bare pata karte hain aur Apsara sadhna karke sadhak apni sansarik iccha ka bhi varpura kar mang sakta hain .
 
[[श्रेणी:पुराण|अप्सरा]]