"सत्यवती": अवतरणों में अंतर
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== वेदव्यास का जन्म ==
एक बार [[पाराशर]] मुनि को उसकी नाव पर बैठ कर यमुना पार करना पड़ा। पाराशर मुनि सत्यवती रूप-सौन्दर्य पर आसक्त हो गये और बोले, "देवि! मैं तुम्हारे साथ सहवास करना चाहता हूँ।" सत्यवती ने कहा, "मुनिवर! आप ब्रह्मज्ञानी हैं और मैं निषाद कन्या। हमारा सहवास सम्भव नहीं है।मैं कुमारी हूँ। मेरे पिता क्या कहेंगे" पाराशर मुनि बोले, "बालिके! तुम चिन्ता मत करो। प्रसूति होने पर भी तुम कुमारी ही रहोगी।" पाराशर ने फिर से मांग की तो सत्यवती बोली की" मेरे शरीर से मछली की दुर्गन्ध निकलती है"। तब उसे आशीर्वाद देते हुये कहा," तुम्हारे शरीर से जो मछली की गंध निकलती है वह सुगन्ध में परिवर्तित हो जायेगी।"
इतना कह कर उन्होंने अपने योगबल से चारों ओर घने कुहरे का जाल रच दिया ताकि कोई और उन्हें उस हाल में न देखे। इस प्रकार पराशर व सत्यवती में प्रणय संबंध स्थापित हुआ।
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