"काकोरी काण्ड": अवतरणों में अंतर

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'''काकोरी काण्ड''' ([[अंग्रेजी]]: Kakori conspiracy) [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के क्रान्तिकारियों द्वारा [[ब्रिटिश राज]] के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक ईच्छा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश [[सरकार]] का ही खजाना लूट लेने की एक [[ऐतिहासिक]] घटना थी जो ९ अगस्त १९२५ को घटी।<ref>http://rrtd.nic.in/ashfaqulla%20khan.html</ref> इस ट्रेन डकैती में [[जर्मनी]] के बने चार [[माउज़र पिस्तौल]] काम में लाये गये थे।<ref>http://world.guns.ru/handguns/hg90-e.htm</ref> इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था। [[हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन]] के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को परिणाम दिया था।
 
क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे स्वतन्त्रता के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के [[शाहजहाँपुर]] में हुई बैठक के दौरान [[राम प्रसाद बिस्मिल]] ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य [[राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी]] ने [[९/9 अगस्त]] [[१९२५/1925]] को [[लखनऊ]] जिले के [[काकोरी]] रेलवे स्टेशन से छूटी "आठ डाउन [[सहारनपुर]]-[[लखनऊ]] पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में [[अशफाक उल्ला खाँ]], पण्डित [[चन्द्रशेखर आज़ाद]] व ६ अन्य सहयोगियों की सहायता से समूची लौह पथ गामिनी पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। बाद में अंग्रेजी सत्ता उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व यात्रियों की हत्या करने का प्रकरण चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर [[रोशन सिंह]] को मृत्यु-दण्ड ([[फाँसी]] की सजा) सुनायी गयी। इस प्रकरण में १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम [[काला पानी]] (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था।राहुल भेरामोरे
 
== काकोरी काण्ड से पूर्व का परिदृश्य ==