"डॉकयार्ड": अवतरणों में अंतर

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सभी राजकीय डॉकयार्ड नौसैनिक अड्डे होते हैं, किंतु सभी नौसैनिक अड्डे डॉकयार्ड नहीं होते। आधुनिक बेड़ों के लिए अड्डों का होना आवश्यक है, जहाँ से वह अपना कार्य कर सकें। निरापद बंदरगाह अड्डे की प्राथमिक आवश्यकता है, जहाँ जहाज का सहायक जलयान पहुँचकर बिना किसी छेड़छाड़ के इर्धंन, गोलाबारूद और आवश्यक भंडार का पुनर्भरण कर सके। वहाँ श्रमिकों के विश्राम और मनोरंजन की व्यवस्था भी रहनी चाहिए। डॉकयार्ड या अड्डे को पनडुब्बी, तारपीडो और हवाई आक्रमणों से बचाने के लिए पर्याप्त रक्षासेनाओं की स्थायी व्यवस्था रहती है। समुद्री प्रभुता की रक्षा के लिए नियुक्त बेड़े की क्षमता पर ही डॉक या अड्डे की सुरक्षा निर्भर करती है।
[[चित्र:Norfolk Ship Yard.jpg|center|thumb|550px|संयुक्त राज्य अमेरिका का नोर्फोल्क शिपयार्ड]]
 
== ग्रेट ब्रिटेन और राष्ट्रमंडल ==
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प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सर्वप्रथम पनामा नहर कटिबंध और हवाई द्वीप में तीन बड़े विमान अड्डों की संस्तुति हुई, जिनके परिचालन अड्डे वेस्टइंडीज़, ऐलास्का और प्रशांत द्वीप के क्षेत्र में नहीं पड़ते थे। पानी के जहाज और विमानों की संख्या बढ़ने पर नए पनडुब्बी अड्डे और अनेक परिवर्तन आवश्यक हो गए।
[[चित्र:Shipbuilding yard.jpg|right|thumb|300px|विशाखापत्तनम शिपयार्ड]]
 
'''भारत''' -- भारत का नाविक इतिहास वैदिक युग से प्रारंभ होता है। जातक कथाओं में साहसपूर्ण समुद्रयात्रा के अनेक रोचक प्रसंगों का विवरण मिलता है। पुराणों और महाकाव्यों में वर्णित अष्टांग सेना का जहाज एक अंग था। १६५७ ई० में शिवाजी ने मराठा नौसेना की स्थापना की। इसे कान्होजी ने विकसित किया और पुर्तगालियों पर अपनी नौसैनिक शक्ति की धाक जमा दी।
 
[[सूरत]] में [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] की स्थापना के बाद भारत में आधुनिक नौसेना की स्थापना हुई। [[प्रथम विश्वयुद्ध]] के समय भारतीय नौसेना में कुछ ही जहाज थे। उन दिनों ब्रिटेन नौसैनिक शक्ति में सर्वश्रेष्ठ था और भारत की रक्षा का दायित्व वहन करता था। अत: भारत का नौबल बढ़ाना आवश्यक समझा गया। कराची, बंबई, विशाखपटणम तथा कलकत्ता द्वितीय महायुद्ध के समय प्रधान भारतीय अड्डे थे। १९४१ ई० में भारतीय डॉकयार्ड में निर्मित पहला जहाज पानी में उतारा गया। नौसेना के जहाज आस्ट्रेलिया के डॉकयार्ड में बनते थे, अत: डॉकयाडों की विशेष उन्नति नहीं हुई। १९४७ ई० में विभाजन के फलस्वरूप एक तिहाई नौसेना और तीन प्रधान नौसैनिक संस्थापन पाकिस्तान के अधिकार में चले गए। आजकल विशाखपटणम, कोचीन के अड्डे और बंबई के डॉकयार्ड की प्रगति तेजी से हो रही है। कांडला बंदरगाह बन जाने से प्रगति का पथ और भी प्रशस्त हो गया है।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==