जयद्रथ ने अपने पिता से भीष्म पितामह की तरह ही इच्छा मृत्यु का वरदान मांगा परन्तु उसके पिता ने यह संभव नहीं होने की बात करते हुए उसे एक श्राप के रूप में कवच दिया की जी भी जयद्रथ के हत्या के बाद उसके सर के जमीन में गिरने का माध्यम बनेगा उसके सिर में विस्फोट हो जाएगा। अर्जुन ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने हेतु बाण से जयद्रथ के सर को अलग कर देता है जो सीधे उसके (जयद्रथ)के पिता की गोद में जा गिरता है और अचानक उसे जमीन में गिरा देते है जिसे उनके सिर में विस्फोट हो जाता है और जयद्रथ के साथ ही उसके पिता की भी मृत्यु हो जाती है।