"मूल मंत्र": अवतरणों में अंतर
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अकाल पुरख या परमात्मा जिसे हम सिख वाहेगुरु के नाम से भी उच्चारित करते हैं, छवि रहित है! ना ही इसकी कोई छवि कभी थी, न ही होगी! सनातन छवि कह क्र इसे एक रूप देने की मिथ्या कोशिश की जा रही है जबकि सिख धर्म में ईश्वर को सर्व-व्यापक माना जाता है जो घट-घट में विराजमान है! गुरु ग्रन्थ साहिब जी में यह मूल मंत्र कुल ३३ बार आया है! सिख धर्म के प्रसिद्द लिखारी भाई गुरदास जी, जिन्होंने अपने कर कमलों से से धन धन गुरु ग्रन्थ साहिब को लिखा, अपनी वार ३९ में मूल मंत्र की व्याख्या करते हुए लिखते हैं कि, 'इक ओं... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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[[चित्र:Sri Guru Granth Sahib Nishan.jpg|thumb|230px|[[आदि ग्रन्थ]] का एक अंश जिसपर मूल मंतर दर्ज है]]
[[चित्र:Sikh mulmantar.png|thumb|230px|मूल मन्तर]] इस चित्र पर मिथ्या प्रचार है! अकाल पुरख छवि
'''मूल मंतर''' ([[पंजाबी भाषा|पंजाबी]]: ਮੂਲ ਮੰਤਰ) [[सिख धर्म]] पुस्तक [[आदि ग्रन्थ]] का सर्वप्रथम छंद है जिसमें सिख मान्यताओं को संक्षिप्त रूप में बताया गया है।
अकाल पुरख या परमात्मा जिसे हम सिख वाहेगुरु के नाम से भी उच्चारित करते हैं, छवि रहित है! ना ही इसकी कोई छवि कभी थी, न ही होगी! सनातन छवि कह
सिख धर्म के प्रसिद्द लिखारी भाई गुरदास जी, जिन्होंने अपने कर कमलों से से धन धन गुरु ग्रन्थ साहिब जी को लिखा, अपनी वार ३९ में मूल मंत्र की व्याख्या करते हुए लिखते हैं कि, 'इक ओंकार सतिनाम करता पुरख से लेकर नानक होसी भी सच !!' तक मूल मंत्र है! अकाल पुरख का मतलब भी >>>"जो कि समय से परे है, जिस का कोई स्वरुप नहीं है!" रिफरेन्स के लिए पंजाबी का यह ब्लॉग देखें: https://moolmantardasach.blogspot.com/
== मंत्र ==
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