"जय भीम": अवतरणों में अंतर
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दलित समाज के प्रसिद्ध नारे '''जय भीम''' की रचना का श्रेय '''बिहारीलाल हरित''' को है। उन्होंने ही 1946 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जन्म दिवस समारोह के अवसर पर पहली बार पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने गांधी ग्राउंड में एक जलसे में डॉ आंबेडकर की उपस्थिति में एक कविता के माध्यम से जय भीम का उद्घोष किया था यथा । '''नवयुवक कौम के जुट जावें सब मिलकर कौम परस्ती में, जय भीम का नारा लगा करें भारत की बस्ती-बस्ती में।'''
आज के समय में सभी दलित युवा पड़े लिखे है और अपने अधिकारों के परते जागरूक है समय के साथ दलित विकाश के रस्ते पर चल रहे है विसेस्कर युवा जो जतिपर्था के खिलाफ है और खुल कर बोल रहे है जय भीम इसी का रूप है आज सभी दलित डॉ आंबेडकर और जय भीम जैसे नारों को सबिकार कर रहे है h
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