"जय भीम": अवतरणों में अंतर

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'''जय भीम''' आम्बेडकरवादियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाला एक अभिवादन वाक्यांश हैं, खासकर उन लोगों द्वारा जिन्होंने [[भीमराव आम्बेडकर|बाबासाहेब आम्बेडकर]] की प्रेरणा से अपने को [[बौद्ध धर्म]] में परिवर्तित किया। यह [[हिंदू]]ओं द्वारा भी इस्तेमाल किया जाता है।<ref>{{Cite web|last=Mohit|first=A.|title=Jai Bhim Status|url=https://www.hamhindi.com/2019/01/jai-bhim-status-shayri-hindi.html}}</ref> जय भीम का अर्थ है "भीम की जीत हो" या "डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर जिंदाबाद"। यह अपने मूल अर्थ से धार्मिक नहीं है। इसे धार्मिक वाक्यांश के रूप में नहीं माना जाता। [[अनुसूचित जाति]], पिछड़ा वर्ग, वामपंथियों, उदारवादियों लोगों द्वारा इसे अभिवादन का एक शब्द के रूप में और भीमराव आम्बेडकर के प्रति सम्मान के प्रतीक के रूप में जाना जाता हैं।<ref>Uttar Pradesh Chief Minister Mayawati made it clear after the fatwa against it by an Islamic seminary.{{Cite web|title=Fatwa on BSP Slogan Sparks Off Debate|url=http://news.outlookindia.com/item.aspx?654045}}</ref><ref>{{Cite book|last=Christophe|first=Jaffrelot|year=2005|title=Dr Ambedkar and untouchability: analysing and fighting caste|pages=154–155|isbn=978-1-85065-449-0|ISBN=978-1-85065-449-0|ref=harv}}</ref>
 
जर कोई व्यक्ती दुसरे व्यक्ती को 'जयभीम' बोलता हैं, तो सामने वाला व्यक्ती भी 'जयभीम' या 'सप्रेम जयभीम' (प्यार भरा जयभीम) कहकर उसके संबोधन का जवाब देता है। जयभीम का उपयोग आमतौर पर प्रत्यक्ष व्यक्ती या समुदाय के सामने, फोन पर, टेक्ट्स आदी के जरीये किया जाता है। जय भीम वाक्यांश अम्बेडकर के एक अनुयायी बाबू एल एन हरदास द्वारा गढ़ा गया था।<ref>{{Cite book|last=Ramteke|first=P. T.|title=Jai Bhim che Janak Babu Hardas L. N.|language = mr}}</ref> बाबू हरदास ने भीम विजय संघ के श्रमिकों की मदद से अभिवादन के इस तरीके को बढ़ावा दिया।<ref>{{Cite web|last=Jamnadas|first=K.|title=Jai Bhim and Jai Hind|url=http://www.dalitdastakambedkar.comorg/jai-bheem-slogan-come-before-jai-hind-2463jamanadas/JaiBhim.htm}}</ref> सडको, पार्क, चौक, स्मारक, टीवी चेनल आदी चिजों को जय भीम नाम दिये गये हैं।
 
दलित समाज के प्रसिद्ध नारे '''जय भीम''' की रचना का श्रेय '''बिहारीलाल हरित''' को है। उन्होंने ही 1946 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जन्म दिवस समारोह के अवसर पर पहली बार पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने गांधी ग्राउंड में एक जलसे में डॉ आंबेडकर की उपस्थिति में एक कविता के माध्यम से जय भीम का उद्घोष किया था यथा । '''नवयुवक कौम के जुट जावें सब मिलकर कौम परस्ती में, जय भीम का नारा लगा करें भारत की बस्ती-बस्ती में।'''
 
आज के समय में सभी दलित युवा पड़े लिखे है और अपने अधिकारों के परते जागरूक है समय के साथ दलित विकाश के रस्ते पर चल रहे है विसेस्कर युवा जो जतिपर्था के खिलाफ है और खुल कर बोल रहे है जय भीम इसी का रूप है आज सभी दलित डॉ आंबेडकर और जय भीम जैसे नारों को सबिकार कर रहे है h
"https://hi.wikipedia.org/wiki/जय_भीम" से प्राप्त