"अलाउद्दीन खिलजी": अवतरणों में अंतर

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== हिन्दुओं के साथ व्यवहार - ==
अलाउद्दीन हिंदुओं के प्रति बहुत ही निर्दयी था l वह प्रत्येक संभव प्रकार से उन्हें पीड़ित करने में कठोर नीतियों का प्रयोग करता था l   बयाना का क़ाज़ी हिन्दुओ के प्रति नीति की व्याख्या करता था, और अपने राज्य में अलाउद्दीन उसी का अनुसरण करता था l क़ाज़ी के अनुसार उनको "खिराज़ गुजार" (भेंट देने वाला) कहा गया हैl और जब कभी माल विभाग का अधिकारी उनसे चाँदी मांगे, तो उन्हें बिना प्रश्न किए पूर्ण विनम्रता तथा सम्मान पूर्वक स्वर्ण उपस्थित करना चाहिए।  यदि मुहस्सिल ( राज-कर वसूल करने वाला) किसी हिंदू के मुंह में थूकना चाहे तो उसे निर्विरोध भाव से मुंह खोल देना चाहिए। ऐसा करने का अर्थ यह है कि ऐसा करने से वह अपनी नम्रता एवम अधीनता तथा आज्ञा पालन एवं सम्मान प्रदर्शित करता है स्वयं खुदा ने उनके पूर्ण पराभव की आज्ञा दी है हिंदू पैगंबर के घोरतम शत्रु हैं। पैगंबर साहब ने कहा है या तो वे इस्लाम ग्रहण कर लें या फिर उन्हें मार दिया जाए या दास बना लिया जाए तथा उनकी संपत्ति राजकोष में जमा कर ली जाए l अलाउद्दीन ने अनेक ऐसे कार्य किए जिससे हिंदुओं को निर्धनता एवं पीड़ा का शिकार बनना पड़ा जियाउद्दीन बरनी के अनुसार, अलाउद्दीन ने गर्व के साथ यह विचार व्यक्त किया कि मेरा आदेश पाते ही वे लोग ऐसे भाग जाते हैं जैसे चूहे अपने बिलों में...सर् वुल्ज़ले हेग  के अनुसार अलाउद्दीन खिलजी ने सारे राज्य में हिंदुओं को निर्धनता तथा पीड़ा के धरlतल पर उतार दिया था।
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