"अलंकार": अवतरणों में अंतर
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<ref>{{Cite book|title=हिंदी भाषा शिक्षण|last=डबास|first=डॉ. जयदेव|publisher=Doaba House|year=2016|isbn=978-93-83232-55-0|location=1688, Nai Sarak, Delhi-110006|pages=210, 211}}</ref>परिभाषा - काव्य का सौंदर्य
[[आभूषण|अलंकार]] जो शरीर का सौंदर्य बढ़ाने के लिए धारण किए जाते हैं।
” काव्यशोभा करान धर्मानअलंकारान प्रचक्षते ।” अर्थात् वह कारक जो काव्य की शोभा बढ़ाते हैं अलंकार कहलाते हैं। जिस प्रकार शरीर के बाहरी भाग को सजाने-संवारने के लिए ब्यूटी पार्लर, व्यायाम शालाएं, हेयर कटिंग सैलून, प्रसाधन सामग्री, आभूषणों की दुकानें हैं तथा आंतरिक भाग को सजाने के लिए शिक्षण-संस्थाएं, धार्मिक संस्थाएं, महापुरुषों के प्रवचन आदि हैं। उसी प्रकार साहित्य के बाहरी रूप को सजाने के लिए शब्दालंकार और आंतरिक रूप को सजाने के लिए अर्थालंकार का प्रयोग किया जाता है।
अलंकारों के मुख्यत: तीन वर्ग किए गए हैं-
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