"रविदास": अवतरणों में अंतर
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→जीवन: Shri Guru Ravidass ji Ke Mata Pita ka naam galt likha tha Jo Maine thik krne ki koshish ki hai jo ke aage se aane wale thik knowledge Le ske🙏🙏🙏 टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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चौदह से तैंतीस कि माघ सुदी पन्दरास । दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री रविदास।
उनके पिता
किन्तु संत रामानन्द के शिष्य बनकर उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित किया। उनकी समयानुपालन की प्रवृति तथा मधुर व्यवहार के कारण उनके सम्पर्क में आने वाले लोग भी बहुत प्रसन्न रहते थे।प्रारम्भ से ही रविदास जी बहुत परोपकारी तथा दयालु थे और दूसरों की सहायता करना उनका स्वभाव बन गया था। साधु-सन्तों की सहायता करने में उनको विशेष आनन्द मिलता था। वे उन्हें प्राय: मूल्य लिये बिना जूते भेंट कर दिया करते थे। उनके स्वभाव के कारण उनके माता-पिता उनसे अप्रसन्न रहते थे। कुछ समय बाद उन्होंने रविदास तथा उनकी पत्नी को अपने घर से भगा दिया। रविदास पड़ोस में ही अपने लिए एक अलग इमारत बनाकर तत्परता से अपने व्यवसाय का काम करते थे और शेष समय ईश्वर-भजन तथा साधु-सन्तों के सत्संग में व्यतीत करते थे।
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