"कूका": अवतरणों में अंतर

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'''कूका''' एक [[सिख]] संप्रदाय है जिसे '''नामधारी''' भी कहते हैं। इस सप्रंदायसम्प्रदाय की स्थापना [[रामसिंह कूका|रामसिंह]] नामक एक लुहार ने की थीथी। जिसकाउन जन्म 1824 ई. मेंदिनों [[लुधियाना]] जिले के भेणी नामक ग्राम में हुआ था। उन दिनों सिख धर्म]] का जो प्रचलित रूप था वह रामसिंह को मान्य न था। [[गुरु नानक]] के समय जो धर्म का स्वरूप था उसे पुन:पुनः प्रतिष्ठित करने के निमित्त वे लोकप्रचलित सामाजिक एवं धार्मिक आचार विचार की कटु आलोचना करने लगे। धीरे-धीरे उनके विचारों से सहमत होनेवाले लोगों का एक सप्रंदाय बन गया।
 
इस धार्मिक संप्रदाय ने आगे चलकर एक क्रांतिकारी राष्ट्रीय दल का रूप धारण कर लिया। [[महाराष्ट्र]] के [[समर्थ रामदास|संत रामदास]] ने महाराष्ट्र में स्वतंत्रता के मंत्र फूँके थे, कुछ उसी तरह का कार्य रामसिंह ने भी किया और 1864 ई. में उन्होंने अपने अनुयायियों को ब्रिटिश सरकार से असहयोग करने का आदेश दिया। इस आदेश के फलस्वरूप इस संप्रदाय ने [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] में स्वतंत्र शासन स्थापित करने का प्रयास किया। तब सरकार ने इस पर कठोर प्रतिबंध लगा दिया। रामसिंह और उनके अनुयायियों ने गुप्त रूप से कार्य करना आरंभ किया। गुप्त रूप से शास्त्रास्त्र एकत्र करना और सैनिकों को ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध उभारने का काम किया जाने लगा। इस प्रकार वे लोग पाँच वर्ष तक गुप्त रूप से कार्य करते रहे। 1872 ई. में एक जगह मुसलमानों ने [[गौ हत्या|गोवध]] करना चाहा। कूकापंथियों ने उसका विरोध किया। दोनों दलों के बीच गहरा संघर्ष हुआ। ब्रिटिश सरकार ने रामसिंह को गिरफ्तार कर ब्रह्मदेश ([[म्यान्मार|म्यानमार]]) भेज दिया जहाँ 1885 ई. में उनका निधन हुआ। इसके बाद कूकापंथ का विद्रोहात्मक रूप समाप्त हो गया किंतु धार्मिक संप्रदाय के रूप में पंजाब में आज भी [[लोहार]], [[जाट]] आदि अनेक लोगों के बीच इसका महत्व बना हुआ है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कूका" से प्राप्त