"दुर्वासा ऋषि": अवतरणों में अंतर

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'''दुर्वासा और कुंती –''' महाभारत में ऐसी बहुत सी कथाएं है, जहाँ ऋषि दुर्वासा से लोगों ने वरदान मांगे और उन्होंने प्रसन्न होकर उन्हें आशीषित किया. इन्ही में से एक है कुंती और दुर्वासा से जुड़ी कथा. कुंती एक जवान लड़की थी, जिसे राजा कुंतीभोज ने गोद लिया हुआ था.  राजा अपनी बेटी को एक राजकुमारी की तरह रखते थे. दुर्वासा एक बार राजा कुन्तिभोज के यहाँ मेहमान बनकर गए. वहां कुंती पुरे मन से ऋषि की  सेवा और आव भगत की. कुंती ने ऋषि के गुस्से को जानते हुए, उन्हें समझदारी के साथ खुश किया. ऋषि दुर्वासा कुंती की इस सेवा से बहुत खुश हुए, और जाते वक्त उन्होंने कुंती को अथर्ववेद मन्त्र के बारे में बताया, जिससे कुंती अपने मनचाहे देव से प्राथना कर संतान प्राप्त कर सकती थी. मन्त्र कैसे काम करता है, ये देखने के लिए कुंती शादी से पहले सूर्य देव का आह्वान करती है, तब उन्हें कर्ण प्राप्त होता है, जिसे वे नदी में बहा देती है. फिर इसके बाद उनकी शादी पांडू से होती है, आगे चलकर इन्ही मन्त्रों का प्रयोग करके पांडव का जन्म हुआ था.
 
'''मण्डल आजमगढ़ मुख्यालय से ४० किलोमीटर कि दुरी पर बसा हैं एक छोटा सा गाँव. जिसका नाम हैं दुर्वासा . तहसील और ब्लोंक फूलपुर हैं. फूलपुर से दुर्वासा कि दुरी लगभग ७ किलोमीटर हैं. ये वोही फूलपुर(फूलपुर क़स्बा अलग हैं, और तहसील और ब्लाक अलग हैं/ यह महर्षि दुर्वासा की सिद्ध तपस्या स्थली एवं तीनों युगों का प्रसिद्ध आश्रम है। [[भारत]] के समस्त भागों से लोग इस आश्रम का दर्शन करने और तरह-तरह की लौकिक कामनाओं की पूर्ति करने के लिए आते हैं।'''
 
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रामप्रवेश यादव
 
Nirmal yadav
 
== इन्हें भी देखें ==