[[चित्र:Sarojini Naidu in Bombay 1946.jpgचित्|right|डाकटिकट पर सरोजिनी नायडू|right|100px]]<div style="font-size:100%;border:none;margin: 0;padding:.1em;color:#000"> '''[[सरोजिनी नायडू]]''' ([[१३ फरवरी]] [[१८७९]] - [[२ मार्च]] [[१९४९]]) का जन्म [[भारत]] के [[हैदराबाद]] नगर में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और [[बांग्ला]] में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने १२ वर्ष की अल्पायु में ही १२वीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और १३ वर्ष की आयु में लेडी आफ दी लेक नामक कविता रची। वे [[१८९५]] में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए [[इंग्लैंड]] गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड आफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया। १८९८ में सरोजिनी नायडू, डा. गोविंदराजुलू नायडू की जीवन-संगिनी बनीं। १९१४ में इंग्लैंड में वे पहली बार गाँधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गयीं। [[सरोजिनी नायडू|'''विस्तार से पढ़ें'''...]]