"मोहम्मद ग़ोरी": अवतरणों में अंतर

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== मृत्यु और देहान्तोपरांत ==
15 मार्च १२०६ में आधुनिक पाकिस्तान के [[झेलम ज़िला|झेलम क्षेत्र]] में नदी के किनारे मुहम्मद ग़ोरी को [[खोखर]] नामक [[जाट]] उपसमूह के लोगों ने अपने राज्य भेरा के ऊपर हुए हमलों का बदला लेने के लिए मार डाला।<ref name="ref48quqiv">[http://books.google.com/books?id=Pd80dn6A8XAC Book Of Muinuddin Chishti], Mehru Jaffer, pp. 121, Penguin Books India, 2008, ISBN 978-0-14-306518-0, ''... Resistance to Ghori by Rajputs also continued and it was not until Ghori's murder in 1206 by a Khokhar Jats tribesman on the banks of the Indus river in modern-day Punjab that relative calm returned to Ajmer. Since Ghori had no sons, he treated thousands of slaves employed by him like his sons ... Qutubuddin Aibak, his favourite slave, took his place as head of the Indian conquests with Delhi as his capital ...''</ref> मुहम्मद ग़ोरी का कोई बेटा नहीं था और उसकी मौत के बाद उसके साम्राज्य के भारतीय क्षेत्र पर उसके प्रिय ग़ुलाम [[क़ुतुब-उद-दीन ऐबक]] ने [[दिल्ली सल्तनत]] स्थापित करके उसका विस्तार करना शुरू कर दिया। उसके अफ़ग़ानिस्तान व अन्य इलाक़ों पर ग़ोरियों का नियंत्रण न बच सका और ख़्वारेज़्मी साम्राज्य ने उन पर क़ब्ज़ा कर लिया। ग़ज़ना और ग़ोर कम महत्वपूर्ण हो गए और [[दिल्ली]] अब क्षेत्रीय इस्लामी साम्राज्य का केंद्र बन गया। इतिहासकार सन् १२१५ के बाद ग़ोरी साम्राज्य को पूरी तरह विस्थापित मानते हैं। LIKHNE WALA CHUTIYA HAI
 
== इन्हें भी देखें ==