"तैमूरलंग": अवतरणों में अंतर

शुद्धिकरण और संदर्भ जोड़ा
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
सन्दर्भ जोड़ा
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 35:
अप्रैल 1398 में तैमूर स्वयं एक भारी सेना लेकर [[समरक़न्द|समरकंद]] से [[भारत]] के लिये रवाना हुआ और सितंबर में उसने [[सिन्धु नदी|सिंधु]], [[झेलम नदी|झेलम]] तथा [[रावी नदी|रावी]] को पार किया। 13 अक्टूबर को वह मुलतान से 70 मील उत्तर-पूरब में स्थित तुलुंबा नगर पहुँचा। उसने इस नगर को लूटा और वहाँ के बहुत से निवासियों को कत्ल किया तथा बहुतों को गुलाम बनाया। फिर मुलतान और भटनेर पर कब्जा किया। वहाँ हिंदुओं के अनेक मंदिर नष्ट कर डाले। [[हनुमानगढ़|भटनेर]] से वह आगे बढ़ा और मार्ग के अनेक स्थानों को लूटता-खसोटता और निवासियों को कत्ल तथा कैद करता हुआ दिसंबर के प्रथम सप्ताह के अंत में दिल्ली के निकट पहुँच गया। यहाँ पर उसने एक लाख हिंदू कैदियों को कत्ल करवाया।
 
[[पानीपत]] के पास निर्बल तुगलक [[महमूद तुग़लक़|सुल्तान महमूद]] ने 17 दिसम्बर को 40,000 पैदल 10,000 अश्वारोही और 120 हाथियों की एक विशाल सेना लेकर तैमूर का मुकाबिला किया लेकिन बुरी तरह पराजित हुआ। भयभीत होकर तुगलक सुल्तान महमूद [[गुजरात]] की तरफ चला गया और उसका वजीर मल्लू इकबाल भागकर बारन में जा छिपा।<ref name=":0">{{Cite web|url=https://hindi.oneindia.com/news/features/saif-kareena-has-named-their-baby-timur-ali-khan-know-who-is-timurlang-393024.html|title=जिसके नाम पर मचा है हंगामा, आखिर कौन था वो तैमूरलंग|last=Richa|date=2016-12-21|website=https://hindi.oneindia.com|language=hi|access-date=2020-05-19}}</ref>
 
दूसरे दिन तैमूर ने दिल्ली नगर में प्रवेश किया। पाँच दिनों तक सारा शहर बुरी तरह से लूटा-खसोटा गया और उसके अभागे निवासियों को बेभाव कत्ल किया गया या बंदी बनाया गया। पीढ़ियों से संचित दिल्ली की दौलत तैमूर लूटकर समरकंद ले गया। अनेक बंदी बनाई गई औरतों और शिल्पियों को भी तैमूर अपने साथ ले गया। भारत से जो कारीगर वह अपने साथ ले गया उनसे उसने समरकंद में अनेक इमारतें बनवाईं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध उसकी स्वनियोजित जामा मस्जिद है।<ref name=":0" />
 
तैमूर भारत में केवल लूट के लिये आया था। उसकी इच्छा भारत में रहकर राज्य करने की नहीं थी। अत: 15 दिन दिल्ली में रुकने के बाद वह स्वदेश के लिये रवाना हो गया। 9 जनवरी 1399 को उसने [[मेरठ]] पर चढ़ाई की और नगर को लूटा तथा निवासियों को कत्ल किया। इसके बाद वह [[हरिद्वार]] पहुँचा जहाँ उसको आस पास की हिंदुओं की सेनाओं ने हराया। [[शिवालिक]] पहाड़ियों से होकर वह 16 जनवरी को [[काँगड़ा|कांगड़ा]] पहुँचा और उसपर कब्जा किया। इसके बाद उसने [[जम्मू]] पर चढ़ाई की। इन स्थानों को भी लूटा खसोटा गया और वहाँ के असंख्य निवासियों को कत्ल किया गया। इस प्रकार भारत के जीवन, धन और संपत्ति को अपार क्षति पहुँचाने के बाद 19 मार्च 1399 को पुन: सिंधु नदी को पार कर वह भारतभूमि से अपने देश को लौट गया।