"प्राकृत": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit |
No edit summary टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit |
||
पंक्ति 1:
[[चित्र:Suryaprajnapati Sutra.jpg|right|thumb|400px|१५०० ई में जैन प्राकृत में लिखा गया [[सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र|सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र]] । इसकी रचना मूलतः तीसरी-चौथी शताब्दी ईसापूर्व में की गयी थी।]]
भारतीय आर्यभाषा के मध्ययुग में जो अनेक प्रादेशिक भाषाएँ विकसित हुई उनका सामान्य नाम '''प्राकृत''' है और उन भाषाओं में जो ग्रंथ रचे गए उन सबको समुच्चय रूप से [[प्राकृत साहित्य]] कहा जाता है। विकास की दृष्टि से भाषावैज्ञानिकों ने [[भारत]] में आर्यभाषा के तीन स्तर
== मध्ययुगीन भाषाओं '''(प्राकृत)''' की मुख्य विशेषताएँ ==
|