"लग्न": अवतरणों में अंतर
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[[वैदिक जयोतिष]] में, '''लग्न''' उस क्षण को कहते हैं जिस क्षण [[आत्मा]] धरती पर अपनी नयी देह से संयुक्त होती है। व्यक्ति के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर जो [[राशि]] उदित हो रही होती है उसके कोण को लग्न कहते हैं।
जन्म कुण्डली में 12 भाव होते है। इन 12 भावों में से प्रथम भाव को लग्न कहा जाता है। इसका निर्धारण बालक के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज में उदित होने वाली राशि के आधार पर किया जाता है। सरल शब्दों में इसे इस प्रकार समझा जा सकता है। यदि पूरे आसमान को 360 डिग्री का मानकार उसे 12 भागों में बांटा जाये तो 30 डिग्री की एक राशि निकलती है। इन्ही 12 राशियों में से कोई एक राशि बालक के जन्म के समय पूर्व दिशा में स्थित होती है। यही राशि जन्म के समय बालक के [[लग्न भाव]] के रूप में उभर कर सामने आती है। [https://abletricks.com/2020/05/lagna-rashi-check-kaise-kare.html लग्न कैसे जाने, यह जानने के लिए यहां क्लिक करे]
मां चंडी ज्योतिष केन्द्र
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