"अपनापन (1977 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

विविध भारती से प्राप्त जानकारी
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
नाम परिवर्तन
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1:
{ सुषमा मायापुरी फिल्मी दुनिया फिल्मी कलियां माधुरी चित्रलेखा तथा विविध भारती के रेडियो प्रोग्राम से प्राप्त जानकारी |date=1978 हिंदी फिल्मी पत्रिकाओं द्वारा प्राप्त जानकारी}}
इस फिल्म को देखकर आने के बाद मेरी दीदी ने कितनी तारीफ की थी की इसे देखने की इच्छा मेरे मन में बड़ी बलवती हो गई थी उन्होंने बताया था की उच्च महत्वाकांक्षी आत्म केंद्रित करियर ओरिएंटेड बदमाश रीना राय अपने पति जितेंद्र को छोड़कर किसी पैसे वाले बुजुर्ग इफ्तेखार से शादी कर लेती है और अपने सो कॉल्ड कैरियर को ऊंचा उठाने की राह पर अपने बच्चे पति और सास को छोड़कर चल देती है बाद में जिसे सुलक्षणा पंडित और जितेंद्र अपनी मां के साथ पालता है और खुशहाल जिंदगी व्यतीत करता रहता है फिर कहानी में मोड़ तब आता है जब कुछ साल बाद अपने हॉस्टल में रहने वाले बच्चे से मिलने बोलो जाते हैं और वहां रीना राय भी अपने करोड़पति पति के साथ कितने मिलती है और जैसे ही वह सुलक्षणा पंडित और इस बच्चे के साथ हिल मिल जाती है तभी पता चलता है यह बच्चा तो जितेंद्र का है अर्थात रीना ही तो उस बच्चे की मां है तो उस बच्चे को पाने की खातिर रीना राय जाने किन हरकतों का अंजाम देती है परंतु एक बहुत अच्छे रोल में संजीव कुमार सभी दर्शकों को और साथ ही साथ रीना राय को इतना अच्छा पूरी फिल्म में समझाते हैं की वह अपनी खलनायिका की हरकतों को रोकती है और अपनी खुशी से जिस कैरियर की खातिर वह सब छोड़ दी रहती है उसे अपनी नियति समझकर खुद को अपने हाल पर छोड़ देती है इसे सिद्ध होता है की हर काम करने से पहले सोच विचार करना आवश्यक है क्योंकि समय निकलने के बाद पछतावा के सिवा आपको कुछ नहीं मिलेगा पिक्चर के शुरू में जिस बच्चे के समोसा से गंदे हाथों को वह हिकारत की नजर से देखती है अंत में वैसे ही समोसा से गंदे हाथों को अपने हाथों से पकड़कर इतना और रोती है प्यार करती है कि दर्शकों की आंखें द्रवित हो जाती है फिल्म के सभी गाने शानदार है आदमी मुसाफिर है आता है जाता है यह गीत हमेशा के लिए दर्शकों के मन में गूंजता रहता है थैंक्यू जे ओम प्रकाश लक्ष्मी प्यारे आनंद बक्शी और सभी कलाकार इस फिल्म में संजीव कुमार ने 35 40 की उम्र में 6570 वर्ष के बुजुर्ग का किरदार किया था और वैसा करने की हिम्मत कोई हीरो नहीं कर सकता इसीलिए संजीव कुमार अपनी एक्टिंग अदायगी के कारण अजर अमर हो गया है रामेश्वरी की जगह सुलक्षणा पंडित पढ़ा जाए {{Infobox Film
| name = अपनापन
| image =अपनापन (1977 फ़िल्म).jpg