"आँखें (2002 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
श्याम टॉकीज रायपुर से प्राप्त अनुभव
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 18:
'''आँखें''' 2002 में बनी [[हिन्दी|हिन्दी भाषा]] की फिल्म है।
== संक्षेप ==
अमिताभ बच्चन जी इतने अच्छे लगते हैंकी इस फिल्म में जब उन्होंने एक नकारात्मक खलनायक का किरदार अदा किया तो अधिकाश दर्शकों को लग रहा था की बैंक लूट कर पूरा पैसा अमिताभ जी को ही मिलना चाहिए बहुत अच्छा अभिनय किया है उन्होंने हर सीन में वह छाए हुए हैं अक्षय कुमार अर्जुन परेश भी बेहतरीन कलाकारी का नमूना पेश किए हैं और पूरी फिल्में मजे की लहर इन लोगों के द्वारा बहती रहती हैं सुष्मिता की परफारमेंस भी गजब की है अन्य चरित्र में परेश तथा बैंक के दो क्लर्क ने जान फूंक दी है बैंक लूटने वाले दृश्य में इन तीनों ने सबसे अच्छा काम किया है ट्रेनिंग वाला सीन फिल्म का हाईलाइट है गाने भी बहुत मनोरंजक है और उनका फिल्मांकन बार-बार देखने की इच्छा होती है पर अमिताभ जी को खलनायक के रूप में देखने का मन कर ही नहीं रहा था और जब वह परेश राव ल पर अत्याचार करते हैं तो बहुत गंदा लगता है परेश रावल तथा कॉमेडियन परेश और सुष्मिता का मर जाना भी बहुत अखरता है बिपाशा को देखना अच्छा लगता है हर एक बात अमिताभ जी को खलनायक नहीं बनना चाहिए क्योंकि वह बैंक लूटना चाहते हैं और हम दर्शक के रूप में चाह रहे थे कि वह बैंक को लूट ले परंतु जब अंत में इंस्पेक्टर आदित्य पंचोली को पैसे देकर वह कैसे छूट कर जब फिर से अक्षय और अर्जुन को बैंक में लूटे सामान के साथ पकड़ लेते हैं तो अच्छा नहीं लगता है कुल मिलाकर फिल्म देखना बहुत अच्छा अनुभव रहेगा फिल्म
यह फिल्म एक गुजराती उपन्यास पर आधारित है। एक पूर्व बैंक अधिकारी अपने साथ हुए अपमान का बदला लेने के लिये तीन अन्धे लोगो की मदद से अपने ही बैंक को लूटने की कोशिश करता है।
 
यह फिल्म एक गुजराती उपन्यास पर आधारित है। एक पूर्व बैंक अधिकारी अपने साथ हुए अपमान का बदला लेने के लिये तीन अन्धे लोगो की मदद से अपने ही बैंक को लूटने की कोशिश करता है।
 
== चरित्र ==