"भारद्वाज ऋषि": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=अप्रैल 2020}}
{{आधार}}{{ज्ञानसन्दूक व्यक्ति|box_width=|name=भारद्वाज|image=Bharadwaja.jpg|title=[[हिंदु ऋषि]]|माता-पिता=[[भूपति]] (पिता)
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ममता (माता)|partner=|spouse=|children=[[द्रोण]] (पुत्र), [[गर्ग]], इलविदा, [[कात्यायनी]]|प्रसिद्धि कारण=हिंदू ग्रन्थों और वेदो के रचायता|religion=[[हिंदु]]|जीवनसाथी=|caption=}}
 
[[File:श्री भरद्वाज मुनि Shri Bhardwaj Muni.jpg|thumb|श्री भारद्वाज मुनि]]
'''भारद्वाज''' प्राचीन भारतीय ऋषि थे। । [[चरक संहिता]] के अनुसार भारद्वाज ने इन्द्र से [[आयुर्वेद]] का ज्ञान पाया। ऋक्तंत्र के अनुसार वे ब्रह्मा, बृहस्पति एवं इन्द्र के बाद वे चौथे व्याकरण-प्रवक्ता थे। उन्होंने व्याकरण का ज्ञान इन्द्र से प्राप्त किया था (प्राक्तंत्र 1.4) तो महर्षि भृगु ने उन्हें [[धर्मशास्त्र]] का उपदेश दिया। तमसा-तट पर क्रौंचवध के समय भारद्वाज वाल्मीकि के साथ थे।