"भीम": अवतरणों में अंतर
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{{ज्ञानसन्दूक महाभारत के पात्र|
| Image = Duel between Duryodhana and Bhima.jpg|
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| संतान = [[घटोत्कच]], [[सुतसोम]]
|Image size=500px}}
▲हिन्दू धर्म के [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] के अनुसार '''भीम''' [[पाण्डव|पाण्डवों]] में दूसरे स्थान पर थे। वे पवनदेव के वरदान स्वरूप [[कुन्ती]] से उत्पन्न हुए थे, लेकिन अन्य पाण्डवों के विपरीत भीम की प्रशंसा [[पाण्डु]] द्वारा की गई थी। सभी पाण्डवों में वे सर्वाधिक बलशाली और श्रेष्ठ कद-काठी के थे एवं युधिष्ठिर के सबसे प्रिय सहोदर थे।
▲उनके पौराणिक बल का गुणगान पूरे काव्य में किया गया है। जैसे:- "सभी गदाधारियों में भीम के समान कोई नहीं है और ऐसा भी कोई जो गज की सवारी करने में इतना योग्य हो और बल में तो वे दस हज़ार हाथियों के समान है। युद्ध कला में पारंगत और सक्रिय, जिन्हें यदि क्रोध दिलाया जाए जो कई [[धृतराष्टृ|धृतराष्ट्रों]] को वे समाप्त कर सकते हैं। सदैव रोषरत और बलवान, युद्ध में तो स्वयं [[इन्द्र]] भी उन्हें परास्त नहीं कर सकते।" वनवास काल में इन्होने अनेक राक्षसों का वध किया जिसमें [[बकासुर]] एवं [[हिडिंब]] आदि प्रमुख हैं एवं अज्ञातवास में विराट नरेश के साले [[कीचक]] का वध करके द्रौपदी की रक्षा की। यह गदा युद़्ध में बहुत ही प्रवीण थे एवं [[द्रोणाचार्य]] और [[बलराम]] के शिष़्य थे। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में राजाओं की कमी होने पर उन्होने मगध के शासक [[जरासंध]] को परास्त करके ८६ राजाओं को मुक्त कराया। द्रौपदी के चीरहरण का बदला लेने के लिए उन्होने दुःशासन की छाती फाड़ कर उसका रक्त पान किया। भीम [[काम्यक वन]] नामक राक्षसी वन का राजा था। महा दैत्य वन का पूर्व राजा [[हिडिंबसुर]] राक्षस था।
महाभारत के युद्ध में भीम ने ही सारे कौरव भाइयों का वध किया था। इन्ही के द्वारा [[दुर्योधन]] के वध के साथ ही महाभारत के युद्ध का अंत हो गया।
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