"रविदास": अवतरणों में अंतर

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== सतगुरु रविदास जी के पद ==
अब कै‘रैदासा’॥
अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी।
 
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी॥
 
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा॥
 
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती॥
 
प्रभु जी, तुम मोती, हम धागा जैसे सोनहिं मिलत सोहागा॥
 
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै ‘रैदासा’॥
 
== दोहे ==