"छायावाद": अवतरणों में अंतर
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<ref>हिन्दी साहित्य कोश, भाग १, प्रधान सम्पादक - धीरेन्द्र वर्मा, प्रकाशक- ज्ञानमण्डल लिमिटिड वाराणसी, तृतीय संस्करण १९८५, पृष्ठ २५१</ref> [[जयशंकर प्रसाद]], [[सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला']], [[पंत|सुमित्रानदन पंत]], [[महादेवी वर्मा]] इस काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। छायावाद नामकरण का श्रेय [[मुकुटधर पाण्डेय]] को जाता है।
<ref>हिन्दी साहित्य का अद्यतन इतिहास, डा॰ मोहन अवस्थी, संस्करण १९८३, प्रकाशक- सरस्वती प्रेस इलाहाबाद, पृष्ठ २५९</ref> [[मुकुटधर पाण्डेय]] ने [[श्री शारदा पत्रिका]] में एक निबंध प्रकाशित किया जिस निबंध में उन्होंने छायावाद शब्द का प्रथम प्रयोग किया | कृति प्रेम, नारी प्रेम, मानवीकरण, सांस्कृतिक जागरण, कल्पना की प्रधानता आदि छायावादी काव्य की प्रमुख विशेषताएं हैं। छायावाद ने हिंदी में खड़ी बोली कविता को पूर्णतः प्रतिष्ठित कर दिया। इसके बाद ब्रजभाषा हिंदी काव्य धारा से बाहर हो गई। इसने हिंदी को नए शब्द, प्रतीक तथा प्रतिबिंब दिए। इसके प्रभाव से इस दौर की गद्य की भाषा भी समृद्ध हुई। '''इसे '
== परिचय ==
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*[http://vle.du.ac.in/mod/book/print.php?id=12151 उत्तर छायावाद : परिवेश और प्रवृत्तियाँ]
*[http://vle.du.ac.in/mod/book/print.php?id=11848 स्वछंदतावाद तथा छायावाद]
{{छायावादी कवि}}
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