"झाँसी की रानी (कविता)": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 2405:204:30A5:F9D8:CB41:36BD:48A4:A897 (वार्ता) के 2 संपादन वापस करके Gdlffyiके अंतिम अवतरण को स्थापित किया (ट्विंकल)
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
पंक्ति 11:
 
== परिचय ==
Jhansi Ki Rani Veer Ras
 
कविता का हर अंतरे का अंत इस कथन से होता है कि लेखिका ने रानी लक्ष्मीबाई की कथा बुंदेलों से सुनी है। कैसे वो राजवंश में जन्मीं और बाल्यकाल से ही अत्यंत वीरांगना थीं। वे [[शिवाजी]] जैसे वीरों की उपासक थीं। अल्पायु में ही विवाह करके वे झाँसी आ गईं। परंतु राणा के निःसंतान मरण से वे शोकाकुल हो गईं परंतु दूसरी ओर डलहाॅजी बहुत प्रसन्न क्योंकि अब वो झाँसी पर अधिकार कर सकता था। लेखिका स्वतंत्रता संग्राम के दूसरे महावीरों को स्मरण और राज घरानों की अवस्था का विवरण करती है। दूसरी ओर रानी काना और मंदरा सखियों के साथ वीरतापूर्वक युद्ध कर और वाॅकर को हराकर ग्वालियर की ओर चल पड़तीं हैं परंतु सिंधिया के द्रोह के कारण उन्हें ग्वालियर छोड़ना पड़ता है। उसके पश्चात उन्होंने किसी प्रकार स्मिथ को भी हरा दिया। परंतु उनके घोड़े के अकस्मात् मरण हो जाता है। ह्यूरोज़ से लड़कर वे आगे चल देतीं हैं। परंतु शत्रु के घिर आने के कारण उन पर वार पर वार होने लगते हैं। आगे एक बड़ा नाला आ गया। उन्होंने सोचा कि वो उसे पार कर लेंगी। परंतु घोड़ा नया था, वो उस नाले को पार नहीं कर पाया और नाले में गिरकर रानी का मरण हो गया। उसके पश्चात् लेखिका रानी को श्रद्धांजलि देती है।