"जगदेई कोलिण": अवतरणों में अंतर

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'''जगदेई कोलिण''' जिसे '''जगदेई कोलिन''' भी लिखा जाता है, [[भारत]] के [[उत्तराखंड]] की [[कोली]] [[जाति]] की एक वीरांगना थी जो [[गढ़वाल]] को बचाने के लिए [[गोरखा राज्य|नेपाल साम्राज्य]] की सेना से भिड़ गई थी एवं गढ़वालियों की जान बचाई थी।<ref>{{Cite web|url=http://www.merapahadforum.com/uttarakhand-language-books-literature-and-words/t635/20/|title=मेरा पहाड़ सदस्यों द्वारा रचित गढ़वाली/कुमाऊंनी कविताये,लेख व रचनाये|website=www.merapahadforum.com|access-date=2020-05-28}}</ref><ref>{{Cite web|url=http://demo.lunainfotech.com/sopan/hindi/%e0%a4%aa%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a5%9c-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a5%9c-%e0%a4%b8%e0%a5%80-%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80/|title=पहाड़ की नारी, पहाड़ सी नारी|website=demo.lunainfotech.com|language=en-US|access-date=2020-05-28}}</ref> १८०४ मे [[नेपाल]] के शासक [[जङ्गबहादुर राणा|जंग बहादुर राणा]] ने उत्तराखंड के [[कुमाऊं]] और गढ़वाल को नेपाल मे मिलाना चहा था जिसके चलते नेपाल की [[उत्तराखण्ड का इतिहास|गोरखा फौज]] ने कुमाऊं और गढ़वाल मे कहर बरपाना सुरू कर दिया था। इसी बीच जगदेई कोलिण नेपाल सेना के विरुद्ध हथियार उठाए इसी दौरान सेना ने कोलिण की [[नाक]] [[कान]] और [[स्तन]] काट दिए एवं जिंदा जला दिया था।<ref>{{Cite web|url=http://www.ajakoartha.com/story/19|title=बहस : पृथ्वी जयन्तीलाई ‘राष्ट्रिय एकता दिवस’ मान्नु जनताप्रति धोका हो|website=Ajako Artha|language=en|access-date=2020-05-28}}</ref><ref>{{Cite web|url=http://www.kamananews.com/news/29519|title=मोती दमिनीको बातै|date=2020-02-22|website=Kamana News|language=en-US|access-date=2020-05-28}}</ref>
 
==संदर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
[[श्रेणी:कोली]]
[[श्रेणी:उत्तराखंड के लोग]]