"मुहम्मद शाह (मुग़ल)": अवतरणों में अंतर
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इन के शासनकाल में 1739 ने नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण कर दिल्ली में भयानक लूट फैलाई और दिल्ली में कोहिनूर हीरा समेत तखत ऐ ताऊज इसको लूटकर वापस आ गया मोहम्मद शाह रंगीला बहुत ही कमजोर शासक के रूप में ऊभरा कई सारे विदेशी आक्रमण हुए बाजीराव नें1737 में दिल्ली के युद्ध में मुगल सेना को दिल्ली में पराजित कर दक्षिण भारत लौट गया लौटते वक्त निजाम और मुगलों की सेना का [[भोपाल रियासत|भोपाल]] में उसका सामना किया पर बाजीराव प्रथम ने भोपाल में निजाम और मुगलों की सेनाओं को पराजित कर भोपाल की संधि उसके मालवा क्षेत्र उसको प्राप्त हो गया है मुगलो का अंत शुरू होगया और विदेशी शक्तियां भारत में वापस आने लगी।{{Infobox Monarch
{{Infobox royalty
| image =[[चित्र:Muhammad Shah.jpg|center|thumb|मुहम्मद शाह ]]|name =मुहम्मद शाह
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| dynasty =[[तैमूर वंश|तैमूरी]]
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'''नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह'''<ref name="Encyclopedia Britannica">{{cite web|url=https://www.britannica.com/biography/Muhammad-Shah|title=Muhammad Shah|website=Encyclopedia Britannica|language=en|accessdate=18 September 2017}}</ref> (जन्म का नाम '''रोशन अख़्तर''')<ref name="Encyclopedia Britannica" /> (7 अगस्त 1702 – 6 अप्रैल 1748)<ref name="Encyclopedia Britannica" /> 1719 से 1748 तक [[मुग़ल शासकों की सूची|मुग़ल बादशाह]] थे। इन्हें मोहम्मद शाह रंगीला के नाम से भी जाना जाता है यह बड़े ही रंगीन तबके के थे इन्हें नाच गाने का बड़ा शौक था उस वक्त कई विदेशी शक्तियों की नजर मुगल सल्तनत पर पड़ी थी क्योंकि उस वक्त मुगल काफी कमजोर थे पिछले कई वर्षों में कई सारे सम्राटों के गद्दी पर बैठने के कारण मुगल साम्राज्य कमजोर पड़ गया था जिसके कारण कई विदेशी शक्तियां भारत पर अपने पांव पसार रही थी।इन का राज्याभिषेक 1719 इसी में सैयद बंधुओं की सहायता से हुआ उन्होंने मोहम्मद शाह को सुल्तान बनाने की कोशिश की परंतु मोहम्मद शाह को सैयद बंधु से काफी खतरा पैदा हो गया था क्योंकि उन्होंने पहले भी कई सारे मुगल सम्राटों का कत्ल करवाया था। जिसके कारण उन्होंने सर्वप्रथम आसफ जा प्रथम जो कि आगे चलके हैदराबाद के निजाम बने उनकी सहायता से सैयद बंधुओं को खत्म करवा दिया। 1722 ईस्वी में और एक स्वतंत्र मुगल सम्राट के रूप में प्रतिष्ठित हुये हालांकि उनके जीवन की एकमात्र सफलता रही। उसके बाद उनके जीवन में लगातार हार का सिलसिला शुरू हो गया। 1724 में निजाम उल मुल्क ने मुगल सम्राट मोहम्मद शाह के खिलाफ कार्रवाई की जिसमें उन्होंने ढक्कन से अवध न आने का फैसला किया था परंतु मोहम्मद शाह ने उनसे कहा कि वह ढक्कन की सुबेदार छोड़कर अवध के सूबेदार बन जाए परंतु निजामुलमुलक ने इस बात को नकार दिया और अपनी सेनाओं को लेकर मुगल सम्राट की सेना को 1726 में पराजित कर दिया जिसमें मराठों ने भी निजाम की मदद की थी। 1736 में बाजीराव पेशवा की सेनाओं ने दिल्ली की ओर कूच किया हमारे आगरा पहुंचे मोहम्मद शाह ने [[शहादत
== मुग़ल सम्राटों का कालक्रम ==
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