"जैन मुनि": अवतरणों में अंतर
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|२८. नग्नता
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== बाईस परिषह ==
जैन ग्रंथों के अनुसार मुनियों के लिए बाईस परिषह सहने होते हैं
▲#स्त्री,{{refn|group=note|स्त्री की मीठी आवाज़, सौंदर्य, धीमी चाल आदि का मुनि पर कोई असर नहीं पड़ता, यह एक परिषह हैं जैसे कछुआ कवछ से अपनी रक्षा करता हैं, उसी प्रकार मुनि भी अपने धर्म की रक्षा, मन और इन्द्रियों को वश में करके रहते हैं}}
== पद ==
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* '''मुनि या साधु''': 28 मूल गुण धारी। संसार, भोग एवं शरीर से विरक्त।
* ''ऐलक'': एक वस्त्र धारी(केवल लंगोट) 12 प्रतिमा धारी उत्कृष्ट श्रावक।
* ''[[क्षुल्लक]]'': 2 वस्त्र धारी(लंगोट एवं दुपट्टा) 12 प्रतिमाधारी मध्यम श्रावक।
* ''आर्यिका '': साधु परमेष्ठि समान 25 मूलगुण धारी मात्र 1 साड़ी धारण करने वाली
* ''क्षुल्लिका'': क्षुल्लक समान मध्यम श्रविका एवं 12 प्रतिमा धारी श्राविका।
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{{reflist|group=note}}
== इन्हें भी देखें ==
* [[आचार्य महाप्रज्ञ]]
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