"आल्हा": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:MAHOBA, U.P. - allha.preview.jpg|right|thumb|300px|वीर आल्हा]]
'''चंद्रवंशी आल्हा''' मध्यभारत में स्थित ऐतिहासिक बुंदेलखण्ड के सेनापति थे और अपनी वीरता के लिए विख्यात थे। आल्हा के छोटे भाई का नाम ऊदल था और वह भी वीरता में अपने भाई से बढ़कर ही था। जगनेर के राजा [[जगनिक]] ने [[आल्ह-खण्ड]] नामक एक काव्य रचा था उसमें इन वीरों की 52 लड़ाइयों की गाथा वर्णित है।<ref>{{Cite book |last=मिश्र |first=पं० ललिता प्रसाद|title=आल्हखण्ड |language= |edition=15 |year=2007 |आल्हा ने 52 लड़ाईयां लडी और जीती कभी कोई आल्हा को नहीं हरा सक |publisher=तेजकुमार बुक डिपो (प्रा०) लि० |location=पोस्ट बॉक्स 85 [[लखनऊ]] 226001 |page=1-11 (
महोबे का इतिहास)}}</ref>
 
ऊदल ने अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु [[पृथ्वीराज चौहान]] से युद्ध करते हुए ऊदल वीरगति प्राप्त हुए
आल्हा को अपने छोटे भाई की वीरगति की खबर सुनकर अपना अपना आपा खो बैठे और पृथ्वीराज चौहान की सेना पर मौत बनकर टूट पड़े आल्हा के सामने जो आया मारा गया 1 घंटे के घनघोर युद्ध की के बाद पृथ्वीराज और आल्हा आमने-सामने थे
दोनों में भीषण युद्ध हुआ पृथ्वीराज चौहान बुरी तरह घायल हुए!सब्दभेदी बाणआल्हा चलानेके मेंगुरु निपुडगोरखनाथ औरके उनकी चतुरंगिनी सेनाकहने पर
अंततः विजई हुईुं,उधर आल्हा भीने वीरता पुर्डपृथ्वीराज लड़तेचौहान हुएको मारेजीवनदान गए!कुछदिया विद्वानोंऔर का ये भी मत है कि चारो तरफ़ मौत का तांडव देखबुंदेलखंड के उनकामहा मन द्रवित हो गया और महानयोद्धायोद्धा आल्हा ने नाथ पंथ स्वीकार कर लिया और लोकगीतों में आज भी अमर है!
 
आल्हा चंदेल राजा परमर्दिदेव (परमल के रूप में भी जाना जाता है) के एक महान सेनापति थे, जिन्होंने 1182 ई० में पृथ्वीराज चौहान से लड़ाई लड़ी, जो आल्हा-खांडबॉल में अमर हो गए।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/आल्हा" से प्राप्त