"सत्य": अवतरणों में अंतर
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= सत्य का महत्व =
सत्य संसार में सबसे महान सिद्धांत है । सत्य मतलब है सभी के कल्याण हेतू । इसलिए सत्य के बारे में व्यवहारिक बात यह है कि सत्य परेशान हो सकता हैं, मगर पराजित नहीं । जो विचार, आचार, कर्म सभी के भले के लिए है उसे पराजित नहिं होने दें । भारत में कई सत्यवादी विभूतियाँ हुई जिनकी दुहाई आज भी दी जाती हैं जैसे राजा हरिश्चन्द्र, सत्यवीर तेजाजी महाराज आदि । इन्होंने अपने जीवन में यह संकल्प कर लिया था कि भले ही जो कुछ हो जाए वे सत्य की राह को नहीं छोड़ेगे ।
सत्य का शाब्दिक अर्थ होता है सते हितम् यानि सभी का कल्याण। सत्य शब्द को सत् या सद् के रूप में भी लिखा जाता है । जैसे सद्विचार, सद्भावना, सदाचार, सत्कृत्य । अगर एक व्यक्ति सभी के भले के बोलता हो, सभी के भले कि भावना रखता हो, सभी के भले के लिए आचरण करता हो, सभी के भले के लिए कर्म करता हो तभी उसे सत्य माना जायेगा । एक व्यक्ति सभी का हित को सामने रखकर बोलता है तभी सत्य बोल रहा है ऐसा माना जायेगा । एक सत्यवादी व्यक्ति की पहचान यह है कि वह जो सभी के भले के लिए किया जा रहा है उसिका पक्ष हमेंशा लेगा । मानव स्वभाव की सत्य के प्रति आगाध श्रद्धा असत्य के प्रति गुस्से के भाव आते हैं ।
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