"पर्यावरण": अवतरणों में अंतर
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अंग्रेजी शब्द ''environment'' स्वयं उपरोक्त पारिस्थितिकी के अर्थ में काफ़ी बाद में प्रयुक्त हुआ और यह शुरूआती दौर में आसपास की सामान्य दशाओं के लिये प्रयुक्त होता था। यह [[फ़्रान्सीसी भाषा|फ़्रांसीसी भाषा]] से उद्भूत है<ref>[https://en.wiktionary.org/wiki/environment अंग्रेजी विक्षनरी]</ref> जहाँ यह "state of being environed" (see environ + -ment) के अर्थ में प्रयुक्त होता था और इसका पहला ज्ञात प्रयोग कार्लाइल द्वारा जर्मन शब्द ''Umgebung'' के अर्थ को फ्रांसीसी में व्यक्त करने के लिये हुआ।<ref>[http://www.etymonline.com/index.php?term=environment Online etymology dictionary]</ref>
==पर्यावरण
आज पर्यावरण एक जरूरी सवाल ही नहीं बल्कि ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है लेकिन आज लोगों में इसे लेकर कोई जागरूकता नहीं है। ग्रामीण
पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है। अपने परिवेश में हम तरह-तरह के जीव-जन्तु, पेड़-पौधे तथा अन्य सजीव-निर्जीव वस्तुएँ पाते हैं। ये सब मिलकर पर्यावरण की रचना करते हैं। विज्ञान की विभिन्न शाखाओं जैसे-भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान तथा जीव विज्ञान, आदि में विषय के मौलिक सिद्धान्तों तथा उनसे सम्बन्ध प्रायोगिक विषयों का अध्ययन किया जाता है। परन्तु आज की आवश्यकता यह है कि पर्यावरण के विस्तृत अध्ययन के साथ-साथ इससे सम्बन्धित व्यावहारिक ज्ञान पर बल दिया जाए। आधुनिक समाज को पर्यावरण से सम्बन्धित समस्याओं की शिक्षा व्यापक स्तर पर दी जानी चाहिए। साथ ही इससे निपटने के बचावकारी उपायों की जानकारी भी आवश्यक है। आज के मशीनी युग में हम ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं। प्रदूषण एक अभिशाप के रूप में सम्पूर्ण पर्यावरण को नष्ट करने के लिए हमारे सामने खड़ा है। सम्पूर्ण विश्व एक गम्भीर चुनौती के दौर से गुजर रहा है। यद्यपि हमारे पास पर्यावरण सम्बन्धी पाठ्य-सामग्री की कमी है तथापि सन्दर्भ सामग्री की कमी नहीं है। वास्तव में आज पर्यावरण से सम्बद्ध उपलब्ध ज्ञान को व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है ताकि समस्या को जनमानस सहज रूप से समझ सके। ऐसी विषम परिस्थिति में समाज को उसके कर्त्तव्य तथा दायित्व का एहसास होना आवश्यक है। इस प्रकार समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा की जा सकती है। वास्तव में सजीव तथा निर्जीव दो संघटक मिलकर प्रकृति का निर्माण करते हैं। वायु, जल तथा भूमि निर्जीव घटकों में आते हैं जबकि जन्तु-जगत तथा पादप-जगत से मिलकर सजीवों का निर्माण होता है। इन संघटकों के मध्य एक महत्वपूर्ण रिश्ता यह है कि अपने जीवन-निर्वाह के लिए परस्पर निर्भर रहते हैं। जीव-जगत में यद्यपि मानव सबसे अधिक सचेतन एवं संवेदनशील प्राणी है तथापि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वह अन्य जीव-जन्तुओं, पादप, वायु, जल तथा भूमि पर निर्भर रहता है। मानव के परिवेश में पाए जाने वाले जीव-जन्तु पादप, वायु, जल तथा भूमि पर्यावरण की संरचना करते है।
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