"सेंगर": अवतरणों में अंतर

सेंगर वंश का शुद्ध इतिहास है और इससे पहले डाला गया इतिहास उस वंश को अपमानित करने के लिए डाला गया है
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सेंगर राजपूतो का गोत्र,कुलदेवी इत्यादि
एक गोत्र है।<ref>{{cite book |title=The Peasant and the Raj: Studies in Agrarian Society and Peasant Rebellion in Colonial India |first=एरिक |last=स्टॉक्स |publisher=कैम्ब्रिज यूनवर्सिटी प्रेस |year=1980 |isbn=9780521297707 |page=78}}</ref> राजपूतों की उत्पत्ति के बारे में कहा है कि जब राजा, उनकी विवाहित पत्नियों से संतुष्ट नहीं होते थे, अक्सर उनकी महिला दासियो द्वारा बच्चे पैदा करते थे, जो सिंहासन के लिए वैध रूप से जायज़ उत्तराधिकारी तो नहीं होते थे, लेकिन राजपूत या राजाओं के पुत्र कहलाते थे।<ref>{{cite web | url=https://books.google.co.in/books?id=NG8-AAAAcAAJ&pg=PR64&dq=the+origin+of+rajpoots+thus+related&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjG1O-JxrHoAhUWH7cAHSE8Dr4QuwUILDAA#v=onepage&q=the%20origin%20of%20rajpoots%20is%20thus%20related%20the%20rajas%2C%20not%20satisfied%20with%20their%20wives%20&f=false | title=History of the rise of the Mahomedan power in India, till the year A.D. 1612: to which is added an account of the conquest, by the kings of Hydrabad, of those parts of the Madras provinces denominated the Ceded districts and northern Circars : with copious notes, Volume 1 | publisher=Spottiswoode, 1829| accessdate=29 Sep 2009| page=xiv}}</ref><ref name="Ferishta2013">{{cite book|author=Mahomed Kasim Ferishta|author-link=फ़िरिश्ता |translator-last1=Briggs |translator-first1=John |title=History of the Rise of the Mahomedan Power in India, Till the Year AD 1612|url=https://books.google.com/books?id=sllrz9lD1eQC&pg=PR64|date=2013|publisher=Cambridge University Press|isbn=978-1-108-05554-3|pages=64–}}</ref>
 
गोत्र-गौतम,
सेंगरो की उत्पत्ति भी अन्य राजपूत कुलो के समान ही विवादित हैं। कुछ विद्वान इन्हे विदेशी तो कुछ भारतीय आदिवासियों के वंशज मानते हैं।{{cn}}
 
प्रवर तीन-गौतम,वशिष्ठ,ब्रहास्पतय
 
वेद-यजुर्वेद,शाखा वाजसनेयी,सूत्र पारस्कर
 
कुलदेवी -विंध्यवासिनी देवी
 
नदी-सेंगर नदी
 
गुरु-विश्वामित्र
 
ऋषि-श्रृंगी
 
ध्वजा -लाल
 
सेंगर राजपूत विजयादशमी को कटार पूजन करते हैं।
 
इस वंश की उत्पत्ति के विषय में ब्रम्हपुराण में वर्णन आता है। चंद्रवंशीय राजा महामना के दूसरे पुत्र तितिक्षु ने पूर्वी भारत में राज्य स्थापित किया था। इसके बाद इसके वंशज क्रमशः - उपद्रनाथ, प्येन, सुतपा और बलि हुए।
 
इनके पांच पुत्र हुए जो बालेय कहलाते थे। वे पांच पुत्र थे अंग, बंग (बंगाल राज्य के संस्थापक), सहय, कलिंग (कलिंग राज्य के संस्थापक), और पुण्ड्रक।
 
अंग की 20वीं पीढ़ी के विकर्ण के सौ पुत्र हुए जिन्होंने एक वंश का विस्तार किया। विकर्ण ने गंगा-यमुना के दक्षिण से लेकर चम्बल नदी तक अपना राज्य स्थापित किया था। विकर्ण के सौ पुत्र होने से वे शतकर्णि कहलाते थे। शातकर्णि से ही धीरे-धीरे ये सेंगरि, सिंगर या सेंगर कहलाने लगे।
 
अंग देश के बाद इस वंश के नरेशों ने कई राज्य स्थापित किये जैसे 1. चेदि प्रदेश (डाहल) 2. राढ़ (कर्ण, सुवर्ण), 3. आंध्र प्रदेश (इस वंश के आंध्र राजा ने अपने अपने नाम से आंध्र देश का राज्य स्थापित किया था। यहाँ के गौतमी पुत्र शतकर्णि ने मालवा, विदर्भ, तथा नर्मदा नदी तक का क्षेत्र जीतकर अपने राज्य में मिलाया था। इन्होंने दो अश्वमेघ यज्ञ भी किये थे। इनकी उपाधि दक्षिण पथपति थी।) 4. सौराष्ट्र (गुजरात) 5. मालवा 6. डाहर (डाहल) 7. राजस्थान में।
 
राड प्रदेश 'वर्दमान' के सेंगर वंशीय सिंह के पुत्र सिंहबाहु हुए। सिंहबाहु के पुत्र विजय ने सन् 543 में समुद्री मार्ग से जाकर लंका विजय की और वहां सिंहल राजवंश की स्थापना की। इन्होंने ही लंका या जिसे ताम्रपर्णी कहते थे, का नाम सिंहल देश या सिंहल द्वीप रक्खा। सिंहल ही बाद में सिलोन कहलाने लगा।
 
सेंगर वंशीय क्षत्रियों का सबसे बड़ा तथा चिरस्थायी राज्य चेदि प्रदेश पर था। यहाँ के सेंगर वंशीय नरेश डहार देव थे जिन्हें डाहल देव या डाभल देव भी कहते थे, वे महात्मा बुद्ध के समकालीन थे। इन्ही के नाम से इस प्रदेश का नाम डाहर या डाहल रक्खा गया। डहार के वंशज ही डहारिया डहालिया कहलाते हैं। बाद में इस प्रदेश को कलचुरी और उनके बाद चंदेल राजाओं ने चेदि प्रदेश के त्रिपुरी, सिहाबा, बंधू(बांधवगढ़) और कालिंजरबाड़ी नगरों पर अधिकार कर लिया। इससे सिंगरों का राज्य छोटा हो गया। जब वह राज्य अत्यंत छोटा रह गया तो कर्ण देव सेंगर ने वहां का राज्य अपने दूसरे पुत्र वनमाली देवजी को देकर यमुना और चर्मण्वती के संगम पर अपना नया राज्य स्थापित किया तथा वहां कर्णगढ़ दुर्ग बनवाकर कर्णवती राजधानी बनायीं। आजकल यह क्षेत्र रीवां के अन्यर्गत है।
 
सेंगरों का राज्य कनार में भी था। जिला जालौन के राजा विशोक देव ने अपने राज्य में से बहने वाली बसेड़ नदी का नाम बदल कर सेंगर नदी रखा। यह नहीं आज भी मैनपुरी, इटावा और कानपूर जिलों से होकर आज भी बह रही है।
 
इन्होंने अपनी रानी के नाम पर यहीं देवकली नगर बसाया। विशोक देव के बीसवें वंशधर जगम्मन शाह ने बाबर का सामना किया था। कनार नष्ट होने के बाद जगम्मन शाह ने उसके पास ही जगत्मनपुर (जिला जालौन) बसाकर वहां अपनी नयी राजधानी बनायीं। आज भी इस वंश के क्षत्रिय कनार और जगम्मनपुर के आस-पास 57 गांवों में बस्ते हैं। ये लोग अभी भी कनारधनि कहलाते हैं।
 
इसी वंश के रेलीचंद्रदेव ने भेरह में अपनी अलग राजधानी स्थापित की। यहाँ के दसवें राजा भगवंत देव ने नीलकंठ भट्ट से "भगवंत भास्कर" ग्रंथबकि रचना करायी थी। इस ग्रन्थ में बारह मयूख (अध्याय) हैं। इसके छठे मयूख 'व्यवहार मयूख' को गुजरात, महाराष्ट्र एवं अन्य कई रियासतों तथा अन्य कई मयुखों को भारत सरकार की प्रिवी कॉउंसिल तक ने हिन्दू लॉ का मुख्य ग्रन्थ माना है। इस वंश के लिए यह बड़े गौरव की बात है।
 
इस वंश का राज्य सिरोज (मालवा) पर कई सौ साल तक रहा। इस वंश की रियासतों व ठिकाने भेरह (जिला इटावा) रुरु और भिखरा के राजा, नकौटा के राव तथा कुर्सी के रावत प्रसिद्द हैं।
 
उपरोक्त स्थानों के अतिरिक्त अब इस वंश के क्षत्रिय इटावा, मैनपुरी, बलिया, छपरा तथा पूर्णिया जिले में बस्ते हैं।
 
शाखाएं:
 
1. चुटु- यह शालिवाहन राजा के वंश की छोटी शाखा थी। इनकी राजधानी वनवासी (कनार) प्रान्त की वैजयंती नगरी में थी।
 
2. कदम्ब- यह चुटु वंश की प्राचीन शाखा है। कंग वम्भी के कुंतल पर राज्य करने के कारण उनके वंशज कदम्ब कहलाये। कंग समुद्रगुप्त के समकालीन थे।
 
3. बरहिया- बिहार, बंगाल तथा आसाम में बस्ते हैं।
 
4. डाहलिया- राजा डहाल के वंशज।
 
5. दाहारिया।
 
प्रस्तुतकर्ता: ठाकुर दीपक सिंह
 
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==सन्दर्भ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सेंगर" से प्राप्त