"दैनिक भास्कर": अवतरणों में अंतर

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===रसरंग===
नापाक चाह
 
resham-singh-raghuwanshiApril 8, 2020Hindi, ग़जलेंNo Comments
 
नजारे रंगीन है सारे, कुछ कलियाँ खिलने की ईजाजत चाहती है।
हिगाहे उठाया मे रगं भरने को तो, जाना वो माली से बगावत चाहती है।
गुमानी तेवर है, खिलते ही, डर भी चुभन का काटों से,
छोड़ अपनो का दामन अब भवरों से हिफाजत चाहती है।
 
वेतहासा आरजू , खूबसूरत सा ख्वाब आखो मे दिन रातों की मेहनत , माली की भुलाकर ,बाजारू सफर मे है,ओर विकने को गैरों की हिमायत चाहती है।
 
है अब कलियाँ दुकाॅ मे ,न कोई मोल ईसका ।ऐ दुनिया सिर्फ खुश्बू की तिजारत चाहती है।
 
हया को चीरती नजरे हस्ती को रौंदा है कदमो से ,जरा न रहम किसी ने की ओर अब भी ये वस्ती मुझसे सराफत चाहती है।
 
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===नवरंग===