"पर्यावरण संरक्षण": अवतरणों में अंतर

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इसके पश्चात सन् 2002 में [[जोहान्सबर्ग]] में [[पृथ्वी सम्मेलन]] आयोजित कर विश्व के सभी देशों को '''पर्यावरण संरक्षण''' पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाए गये। वस्तुतः [[पर्यावरण]] के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है , अन्यथा [[मंगल ग्रह]] आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन-चक्र भी एक दिन समाप्त हो जायेगा।
 
==पर्यावरण संरक्षण के विधियां== Shyamlal Choursiya, Gaurav Choursiya,Shivam Choursiya
[[प्रदूषण|पर्यावरण प्रदूषण]] के कुछ दूरगामी दुष्प्रभाव हैं , जो अतीव घातक हैं , जैसे [[अणु|आणविक]] विस्फोटों से [[रेडियोसक्रियता|रेडियोधर्मिता]] का आनुवांशिक प्रभाव , [[पृथ्वी का वायुमण्डल|वायुमण्डल]] का तापमान बढ़ना , [[ओजोन परत]] की हानि , [[अनाच्छादन|भूक्षरण]] आदि ऐसे घातक दुष्प्रभाव हैं। प्रत्यक्ष दुष्प्रभाव के रूप में जल , वायु तथा परिवेश का दूषित होना एवं [[वनस्पति|वनस्पतियों]] का विनष्ट होना , मानव का अनेक नये रोगों से आक्रान्त होना आदि देखे जा रहे हैं। बड़े [[कारखाना|कारखानों]] से विषैला अपशिष्ट बाहर निकलने से तथा [[प्लास्टिक]] आदि के कचरे से प्रदूषण की मात्रा उत्तरोत्तर बढ़ रही है।