"तात्या टोपे": अवतरणों में अंतर

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{{Infobox क्रान्तिकारी जीवनी
|नाम = रामचंद्र पाण्डुरंग राव यवलकर
|जीवनकाल = [[१८१८१६ फरवरी|16 फरवरी]] [[१८१४]] – [[१८ अप्रैल|1718 अप्रैल]] [[१८५९]]
|चित्र = [[चित्र:Tantiatope.jpg|200px]]
|शीर्षक= तात्या टोपे
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|संगठन =
}}
'''तात्या टोपे''' (16 फरवरी 1814 - 18 अप्रैल 1859) [[भारत]] के [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|प्रथम स्वाधीनता संग्राम]] के एक प्रमुख सेनानायक थे। सन [[१८५७]] के महान विद्रोह में उनकी भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी।
 
सन् सत्तावन के विद्रोह की शुरुआत [[१० मई]] को [[मेरठ]] से हुई थी। जल्दी ही क्रांति की चिन्गारी समूचे उत्तर भारत में फैल गयी। विदेशी सत्ता का खूनी पंजा मोडने के लिए भारतीय जनता ने जबरदस्त संघर्ष किया। उसने अपने खून से त्याग और बलिदान की अमर गाथा लिखी। उस रक्तरंजित और गौरवशाली इतिहास के मंच से [[रानी लक्ष्मीबाई|झाँसी की रानी]] [[रानी लक्ष्मीबाई|लक्ष्मीबाई]], [[नाना साहेब|नाना साहब पेशवा]], [[राव साहब]], [[बहादुर शाह ज़फ़र|बहादुरशाह जफर]] आदि के विदा हो जाने के बाद करीब एक साल बाद तक तात्या विद्रोहियों की कमान संभाले रहे।उनकी मृत्यु धोके से औरछा की रानी लङाई सरकार ने युद्ध के दौरान करी।