"व्यापार": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Shaniwarwada in late 1800s.jpg|right|thumb|300px|उनीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में [[पुणे]] के शनिवार पेठ का दृष्य]]
'''व्यापार''' (Trade) का अर्थ है क्रय और विक्रय। दूसरे शब्दों में, एक व्यक्ति (या संस्था) से दूसरे व्यक्ति (या संस्था) को सामानों का स्वामित्व अन्तरण ही व्यापार कहलाता है। स्वामित्व का अन्तरण सामान, सेवा या
आरम्भ में व्यापार एक सामान के बदले दूसरा सामान लेकर (वस्तु-विनिमय या बार्टर) किया जाता था। बाद में अधिकांश वस्तुओं के बदले धातुएँ, मूल्यवान धातुएँ, सिक्के, [[हुण्डी]] (bill) अथवा पत्र-मुद्रा से हुईँ। आजकल अधिकांश क्रय-विक्रय [[मुद्रा (भाव भंगिमा)|मुद्रा]] (मनी) द्वारा होता है। मुद्रा के आविष्कार (तथा बाद में क्रेडिट, पत्र-मुद्रा, अभौतिक मुद्रा आदि) से व्यापार में बहुत सरलता और सुविधा आ गयी। types of trade- यह दो प्रकार का होता है।
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[[श्रेणी:वाणिज्य]]
[[श्रेणी:वाणिज्य व्यापार|*]]
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