"गंगा दशहरा": अवतरणों में अंतर

गंगा दशहरा
व्याख्या को सही से समझाया गया की गंगा दशहरा में जो होता है वो किस लिए होता है और उसका सही अर्थ क्या है
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'''गंगा दशहरा''' हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसी दिन मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था ज्येष्ठ शुक्लाशुक्ल दशमीपक्ष के १० वे दिन को दशमी दशहरा कहते हैं। इसमेंसनातन धर्म में स्नान, दान, रूपात्मकहर व्रतकिसी होताउपवास है।त्योहार स्कन्दपुराणके मेंसाथ लिखाइसलिए हुआजोड़ा गया है कि,ताकि ज्येष्ठपृथ्वी शुक्लापर दशमीइंसानियत संवत्सरमुखीऔर मानीकिसी गईकी हैमदद इसमेंकरने स्नानकी इच्छा इंसान में हमेशा बनी रहे और दानपृथ्वी तोपर विशेषसोहार्द करकेऔर करें।आपस किसीका भीप्रेम नदीहमेशा परबना जाकररहे अर्घ्यऔर (पू‍जादिक)व्रत एवंको तिलोदकइसलिए (तीर्थबताया प्राप्तिगया है निमित्तकताकि तर्पण)आपका अवश्यस्वास्थ करें।
उपवास करके अच्छा बना रहे इसलिए इसमें भी स्नान, दान, रूपात्मक व्रत होता है। स्कन्दपुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है इसमें स्नान और दान तो विशेष करके करें। किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पू‍जादिक) एवं तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण) करे तथा उस नदी की स्वच्छता का भी ध्यान रखे। तभी आपका व्रत और मां गंगा की आराधना पूरी हो पाएगी।
 
 
ऐसा करने वाला महापातकों के बराबर के दस पापों से छूट जाता है।
 
ऐसा करने वाला महापातकों के बराबर के दस पापों से छूट जाता है। ऐसा इसलिए कहा गया है ताकि आप अपने आस पास की नदियों का ध्यान रखे और मां गंगा की तरह उनको भी स्वच्छ रख सके समाज के लिए ऐसा काम करने वाला स्वयं पापो से मुक्त हो जाता है।
 
== अच्छे योग ==