"अवेस्ता": अवतरणों में अंतर

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अवेस्ता युग की रचनाओं में प्रारम्भ से लेकर 200 ई. तक तिथिक्रम से आनेवाली सर्वप्रथम रचनाएँ '''गाथा''' कहलाती हैं, जिनकी संख्या पाँच है। अवेस्ता साहित्य के वे ही मूल ग्रंथ हैं जो पैगंबर ([[जरथुस्त्र]]) के भक्तिसूत्र हैं और जिनमें उनका मानव का तथा ऐतिहासिक रूप प्रतिबिंबित है, न कि काल्पनिक व्यक्ति का, जैसा कि बाद में कुछ लेखकों ने अपने अज्ञान के कारण उन्हें अभिव्यक्त करने की चेष्टा की है। उनकी भाषा बाद के साहित्य की अपेक्षा अधिक आर्ष है और वाक्यविन्यास (सिंटैक्स), शैली एवं छंद में भी भिन्न है, इसी लिए उनकी रचना का काल विद्वानों ने प्राचीनतम वैदिक मंत्रों की रचना का समय निर्धारित किया है। नपे तुले स्वरों में रचे होने के कारण वे सस्वर पाठ के लिए ही हैं। उनमें न केवल गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यानुभूतियाँ वर्तमान हैं, वे विषयप्रधान ही न होकर व्यक्तिप्रधान भी हैं जिनमें पैगंबर के व्यक्तित्व की विशेष रूप से चर्चा की गई है, उनके ईश्वर के साथ तादात्म्य स्थापित करने और उस विशेष अवस्था के परिज्ञान के लिए वांछनीय आशा, निराशा, हर्ष, विषाद, भय, उत्साह तथा अपने मतानुयायियों के प्रति स्नेह और शत्रुओं से संघर्ष आदि भावों का भी समावेश पाया जाता है। यद्यपि पृथ्वी पर के मनुष्य का जीवन वासना से घिरा हुआ है, पैगंबर ने इस प्रकार शिक्षा दी है कि यदि मनुष्य वासना का निरोध कर सात्विक जीवन व्यतीत करे तो उसका कल्याण अवश्यभावी है।
 
गाथाओं के बाद "[[यस्न]]" आते हैं जिनमें 72 अध्याय हैं जो "[[कुश्ती (पारसी धर्म)|कुश्ती]]" के 72 सूत्रों के प्रतीक हैं। कुश्ती कमरबंद के रूप में बुनी जाती है जिसे प्रत्येक ज़रथुस्त्र मतावलंबी "सूद्र" अथवा पवित्र कुर्ता के साथ धारणा करता है जो धर्म का बाह्य प्रतीक है। यस्न उत्सव के अवसर पर पूजा संबंधी "विस्पारद" नामक 23 अध्याय का ग्रंथ पढ़ा जाता है। इसके बाद संख्या में 23 "यश्तों" का संगायन किया जाता है जो स्तुति के गान हैं और जिनके विषय अहुमरज्द तथा अमेष-स्पेंत, जो दैवी ज्ञान एवं ईश्वर के विशेषण हैं और "यज़ता", पूज्य व्यक्ति जिनका स्थान अमेष स्पेंत के बाद हैं।
 
अवेस्ता काल के धार्मिक ग्रंथों की सूची के अंत में "वेंदीडाड", "विदेवो दात" (राक्षसों के विरुद्ध कानून) का उल्लेख हुआ है। यह कानून विषयक एक धर्मपुस्तक है जिसमें 22 "फरगरद" या अध्याय हैं। इसके प्रधान वर्ण्य विषय इस प्रकार हैं--अहुरमज्द की रचना तथा अंग्र मैन्यु की प्रति-रचनाएँ, कृषि, समय, शपथ, युद्ध, वासना, अपवित्रता, शुद्धि एवं दाहसंस्कार।