"भारत की न्यायपालिका": अवतरणों में अंतर

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=== अधीनस्थ न्यायालय या निचली अदालतें ===
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देश भर में निचली अदालतों का कामकाज और उसका ढांचा लगभग एक जैसा है। इन अदालतों का दर्जा इनके कामकाज को निर्धारत करता है। ये अदालतें अपने अधिकारों के आधार पर सभी प्रकार के [[दीवानी]] और [[दण्डाभियोग|आपराधिक मामलों]] का निपटारा करती हैं। ये अदालतें [[नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908]] और [[अपराध प्रक्रिया संहिता, 1973]] के आधार पर कार्य करती है। अदालतों को इन संहिताओं में उल्लिखित प्रक्रियाओं के आधार पर निर्णय लेना होता है। इन्हें स्थानीय कानूनों का भी ध्यान रखना होता है।
 
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2. वादों का निर्णय संक्षिप्त ढँग से होता है जिसमें अभियुक्त को रक्षा करने का पूरा मौका नहीं मिलता है।<br />
3. न्यायधीशों हेतु कोई सेवा नियम नहीं है।<br />
 
==ट्रिब्यूनल==
सामान्य तौर पर ट्रिब्यूनल एक व्यक्ति या संस्था को कहा जाता है, जिसके पास न्यायिक काम करने का अधिकार हो चाहे फिर उसे शीर्षक में ट्रिब्यूनल ना भी कहा जाए। उदाहरण के लिए, एक न्यायाधीश वाली अदालत में भी हाजिर होने पर वकील उस जज को ट्रिब्यूनल ही कहेगा।
 
8 अक्टूबर 2012 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई अधिसूचना के मुताबिक 19 ट्रिब्यूनल हैंः
 
* बिजली के लिए अपीलीय ट्रिब्यूनल
* सशस्त्र सेना ट्रिब्यूनल
* केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग
* केंद्रीय प्रशासनिक आयोग
* कंपनी लाॅ बोर्ड
* भारत का प्रतिस्पर्धा आयोग
* प्रतियोगिता अपीलीय ट्रिब्यूनल
* काॅपीराइट बोर्ड
* सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा अपीलीय ट्रिब्यूनल
* साइबर अपीलीय ट्रिब्यूनल
* कर्मचारी भविष्य निधि अपीलीय ट्रिब्यूनल
* आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल
* बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण
* बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड
* नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल
* भारत का प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड
* टेलीकाॅम निपटान और अपीलीय ट्रिब्यूनल
* दूरसंचार नियामक प्राधिकरण
 
==न्यायाधीशों की नियुक्ति==
भारत के संविधान में सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय में न्यायधीशों की नियुक्ति को लेकर नियम बनाए गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश की नियुक्ति [[भारत के राष्ट्रपति]] द्वारा मुख्य न्यायाधीश की सलाह से होती है। उनकी नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठ जजों के समूह के तहत होती है। उसी तरह हाई कोर्ट के लिए राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश, उस राज्य के राज्यपाल और उस हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर नियुक्ति करता है। जज बनने के लिए किसी व्यक्ति की पात्रता यह है कि उसे भारत का नागरिक होना चाहिये। सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए उसका पांच साल अधिवक्ता के तौर पर या किसी हाई कोर्ट में जज के तौर पर दस साल कार्य किया होना आवश्यक है। हाई कोर्ट जज के लिए जरुरी है कि उस व्यक्ति ने किसी हाई कोर्ट में कम से कम दस साल अधिवक्ता के तौर पर कार्य किया हो।
 
किसी जज को उसके पद से कदाचार के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश पर हटाया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय के किसी न्यायधीश को केवल तब ही हटाया जा सकता है जब नोटिस पर 50 [[राज्यसभा]] या 100 [[लोकसभा]] सदस्यों के हस्ताक्षर हों।
 
===लोक अदालत===