"हिन्दू धर्म": अवतरणों में अंतर

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छो आर्यो का स्थान
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सनातन धर्म पृथ्वी के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है; हालाँकि इसके इतिहास के बारे में अनेक विद्वानों के अनेक मत हैं। आधुनिक इतिहासकार हड़प्पा, मेहरगढ़ आदि पुरातात्विक अन्वेषणों के आधार पर इस धर्म का इतिहास कुछ हज़ार वर्ष पुराना मानते हैं। जहाँ भारत (और आधुनिक पाकिस्तानी क्षेत्र) की [[सिन्धु घाटी सभ्यता]] में हिन्दू धर्म के कई चिह्न मिलते हैं। इनमें एक अज्ञात मातृदेवी की मूर्तियाँ, [[भगवान शिव]] [[पशुपति]] जैसे देवता की मुद्राएँ, शिवलिंग, पीपल की पूजा, इत्यादि प्रमुख हैं। इतिहासकारों के एक दृष्टिकोण के अनुसार इस सभ्यता के अन्त के दौरान मध्य एशिया से एक अन्य जाति का आगमन हुआ, जो स्वयं को '''आर्य''' कहते थे और संस्कृत नाम की एक [[हिन्द यूरोपीय]] भाषा बोलते थे। एक अन्य दृष्टिकोण के अनुसार [[सिन्धु घाटी सभ्यता]] के लोग स्वयं ही आर्य थे और उनका मूलस्थान भारत ही था।
 
आर्यों की सभ्यता को [[वैदिक सभ्यता]] कहते हैं। पहले दृष्टिकोण के अनुसार लगभग १७०० ईसा पूर्व में आर्य अफ़ग़ानिस्तान , कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में बस गए। तभीलेकिन आर्यों के मूल स्थान के बारे में कहीं की बदलती हैं,  तिलक जैसे बुद्धिजीवी उन्हें दक्षिणी ध्रुव से मानते हैं क्योंकि ऋग्वेद में कहा गया है आर्य जहां रहते हैं वहाँ 6 महीने की रात तो 6 महीने के दिन होते हैं  कई लोगों ने कश्मीर तिब्बत से मानते है लेकिन जो ज्यादा तार्किक है वो लोगमध्य एशिया से ही है । बहरहाल (उनके विद्वान ऋषि) अपने देवताओं को प्रसन्न करने के लिए वैदिक संस्कृत में मन्त्र रचने लगे। पहले चार वेद रचे गए, जिनमें [[ऋग्वेद]] प्रथम था। उसके बाद उपनिषद जैसे ग्रन्थ आए। हिन्दू मान्यता के अनुसार वेद, उपनिषद आदि ग्रन्थ अनादि, नित्य हैं, ईश्वर की कृपा से अलग-अलग मन्त्रद्रष्टा ऋषियों को अलग-अलग ग्रन्थों का ज्ञान प्राप्त हुआ जिन्होंने फिर उन्हें लिपिबद्ध किया। [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]] और [[जैन धर्म|धर्मों]] के अलग हो जाने के बाद वैदिक धर्म में काफ़ी परिवर्तन आया। नये देवता और नये दर्शन उभरे। इस तरह आधुनिक हिन्दू धर्म का जन्म हुआ।
 
दूसरे दृष्टिकोण के अनुसार हिन्दू धर्म का मूल कदाचित [[सिन्धु सरस्वती परम्परा]] (जिसका स्रोत मेहरगढ़ की ६५०० ईपू संस्कृति में मिलता है) से भी पहले की भारतीय परम्परा में है।