"क़ुरआन की आलोचना": अवतरणों में अंतर

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१. क़ुरान मुस्लिम को बैंकिंग की सुविधा से वंचित कर देते हें क़ुरान के कुछ नियमो के वजह से मुस्लिम बैंकिंग का इस्तेमाल करने से कतराते हें
 
२. आज कल फैले आतंकवाद में भी लोग क़ुरान काके ग़लत मतलब निकलतानिकालते है जैसे जिहाद !
३. कुरान की कई आयतो में गैर मुसलमानों का कत्ल करने का साफ लिखा है जैसे कुरान की सुरा ९ आयत ५
https://quran.com/9/5
 
कुछ कट्टरपन्थी क़ुरान की सहीग़लत व्याख्या कर मुस्लिम युवको को आतंकवाद की ओर आसानी से धकेल देते हें।हें
 
==सन्दर्भ==