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== बचपन ==
उनका जन्म थिरुनवलूर नाम के गांव मे हुआ। उनके बचपन का नाम "नम्बि अरुरार" था। उनके पिता का नाम "सदैयार" और माँ का नाम "इसैग्नानि" था,था। वे ब्राह्मण थे।

थिरुनवलूर के राजा ''[[नरसिंह मुनैयार|नारसिन्घ मुनैयार]]'' ने नम्बि को गोद लेना चाहा। सदैयार अनासक्ति से परिपूर्ण थे, उन्होने अपना बेटा खुशीपूर्वक राजा को दे दिया। और नम्बि राजपुत्र के रूप मे पले बढे।<ref name="saiva">[http://www.dlshq.org/download/nayanar.htm#_VPID_21. Sundaramurthi Nayanar] - A DIVINE LIFE SOCIETY PUBLICATION</ref> तमिळ में आदरपूर्वक नाम के पश्चात -र प्रत्यय लगाने से उनको सुंदरर भी कहा जाता है (जैसे आदिशंकरर, पेरियर आदि)
 
== पौराणिक कथा ==
दन्तकथा के अनुसार जब सुन्दररसुन्दरार की शादी थी तब शंकर भगवान वहाँ आए,आए। वे एक साधु के रूप मे थे। उनके पास एक पर्चा था, जिसके अनुसार सुन्दररसुन्दरार के दादा ने वचन दिया था कि उनके आने वाली पीढी उनके अनुयायी रहेगे और उनकी सेवा करगे। सुन्दररसुन्दरार ने इसे अपनी नियती समझा और साधु के साथ तमिलनाडु का भ्रमण किया, वहाँ के मन्दिरो की सैर की। [[तंजावुर|तंजवुर]]थान्जवुर के तिरूवरूर ग्राम पहुँचने पर उन्हे परवाई नाम की लडकी से पहचान हुई और बाद मे उन्होने उनसे शादी की। कथा

दन्तकथा के अनुसार उन्होने थिरुवरूर मे सब ६३ [[नायनमार]] के नाम का कीर्तनकिर्तन किया। इन कीर्तनोंकिर्तनों को तमिलनाडु मे [[तिरुतोन्दर तोकै]] के नाम से जाना गया। उनका तमिलनाडु भ्रमण जारी रहा, उन्होने भगवान शंकर के भजन लिखे और कई चमत्कारोंचमत्कारो को उनके साथ जोडा जाता है।
 
== राजा का साथ ==
उनकी ख्याति [[केरल]] के राजा [[चेरमन परुमल]] तक भी पहूँची। राजा परुमल तिरुवरुर को आए और सुन्दररसुन्दरार से मिले। राजा और सुन्दररसुन्दरार की दोस्ती हुई और उन दोनो ने साथ-साथ तीर्थो की यात्रा की।
 
== मृत्यु ==
थोडे साल बाद सुन्दररसुन्दरार थक गए और शंकर भगवान की स्तुति की। उन्होने पुछा "इस जनम से आप हमे मोक्ष दे"। शंकर भगवान ने उनको एक हाथी दिया। सुन्दररसुन्दरार ने शंकर भगवान से परूमल को भी स्वर्ग आने की अनुमति माँगी। सुन्दररसुन्दारर, उनका हाथी, परुमल और उनका घोडा स्वर्गलोक को गए, ८२५ इस्वीसाल में।मे।
 
== अनुमोदक ==