"डाकन प्रथा": अवतरणों में अंतर

यहां डाकन प्रथा सर्वप्रथम 1953 लिखा हुआ था जिसमें पीएस राजगुरु लंगेरा ने 1553 संशोधित कर लिखा गया
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Date correction 1853 in place of 1553
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'''डाकन प्रथा''' या '''डायन प्रथा''' एक कुप्रथा थी जो पहले [[राजस्थान]] के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी प्रचलित थी , इसमें [[ग्रामीण क्षेत्र|ग्रामीण]] [[महिला|औरतों]] पर '''डाकन''' यानी अपनी तांत्रिक शक्तियों से नन्हें शिशुओं को मारने वाली पर अंधविश्वास से उस पर आरोप लगाकर निर्दयतापूर्ण मार दिया जाता था। इस प्रथा <ref>[http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/20156/9/09_chapter%25203.pdf डाकन प्रथा एक कुरीति और अंधविश्वास] अभिगमन तिथि :०५ जून २०१६</ref>
के कारण सैकड़ों स्त्रियों को मार दिया जाता था। १६वीं शताब्दी में [[राजपूत]] रियासतों ने कानून बनाकर इस प्रथा पर रोक लगादी थी <ref>[http://m.timesofindia.com/city/jaipur/HC-notice-to-govt-over-practice-of-dayan-pratha/articleshow/8155944.cms HC notice to govt over practice of dayan pratha' ] अभिगमन तिथि :०५ जून २०१७</ref>
। इस प्रथा पर सर्वप्रथम अप्रैल 15531853 ईस्वी में [[मेवाड़]] में [[महाराणा स्वरूप सिंह|महाराणा स्वरुप सिंह]] के समय में [[खेरवाड़ा छावनी|खेरवाड़ा]] ([[उदयपुर]]) में इसे गैर कानूनी घोषित कर दिया था।
 
==सन्दर्भ==