"दुर्योधन": अवतरणों में अंतर
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सुरक्षित जगह पर दफन कर दिया और उसके बाद उनको दो वर्ष बाद खोलने के लिए कह कर [[व्यास]] [[वन]] की और चल दिए। इसके बाद पहले [[बर्तन]] को खोला तो उसमें [[दुर्योधन]] निकला।
== भीम संग गदा युद्ध ==
[[चित्र:Duryodhna vadh.jpg|पाठ=]][[महाभारत]] के युद्ध के अठारवे दिन [[दुर्योधन]] को अपने करीबी [[कर्ण]],[[द्रोण]] , [[दुशासन]] , [[शकुनि]] आदि की मृत्यु के बाद काफी दुख होता है। अब [[कौरव]] सेना में सिर्फ गिने चुने [[महारथी]] [[
उधर युद्ध क्षेत्र में पांडव कौरव सेना की अनुपस्थिति को देख कर दुर्योधन को डूंडने के लिए श्री कृष्ण समेत निकल पड़ते है। जिसके बाद बड़ी मुश्किल से उनको झील में छिपे हुए दुर्योधन का पता चल जाता है । इसके बाद वो दुर्योधन को झील से बाहर आने और युद्ध करने के लिए ललकारते है। जिसको सुनकर दुरुयोधन झील से बाहर आ जाता है । और भीम से गदा युद्ध करता है। युद्ध में वो अपनी मां के दिए हुए लोहशरिर रूपी वरदान की बदौलत भीम को काफी हद तक हरा देता है। किन्तु आखिर में श्री कृष्ण भीम को हिशारा करके दुर्योधन कि झंघा पर गदा से बार करने के लिए और दुरियोधन की झंघाओ को तोड़ने की ली हुई प्रतिज्ञा को याद दिलाते है। जिसके बाद भीम दुर्योधन की झंगाओ पर वार करते है और उसको बुरी तरह गायल कर देते है। गदा युद्ध के नियम (गदा युद्ध में शरीर के निचले भाग पर हमला नहीं करते) को टूटता और अपने सबसे प्रिय शिष्य को मरता हुए देख बलराम वहां आते है और भीम पर हमला कर देते है जिनको [[श्री कृष्ण]] समझाते है और शांत करके बापस चले जाने के लिए मनाते है। उनके जाने के बाद श्री कृष्ण समेत सभी [[पांडव]] [[दुर्योधन]] को तडफता हुआ छोड़ कर वहां से चले जाते है।
== मृत्यु ==
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