"द्रुपद": अवतरणों में अंतर
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पांचों पांडव की एक ही माता के स्थान पर कुंती और माद्री के पुत्रों को स्पष्ट किया है। सन्दर्भ :- विकिपीडिया महाभारत की जानकारी। टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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{{ज्ञानसन्दूक महाभारत के पात्र|जीवनसाथी=|भाई-बहन=|माता और पिता=|राजवंश=पांचाल|मुख्य शस्त्र=|व्यवसाय=राजा (क्षत्रिय)|उत्त्पति स्थल=|संदर्भ ग्रंथ=[[महाभारत]]|देवनागरी=|अन्य नाम=यज्ञसेन|Caption=[[द्रुपद]] को अपने भाई से अवगत करवाते हुए उपयाज|width2=|Image=Upyaz showing his elder brother to Drupada.jpg|संतान=[[द्रौपदी]](पुत्री), [[धृष्टद्युम्न]], [[शिखण्डी|शिखंडी]] ,[[सत्यजीत]],[[उत्तमौजा|उत्तमानुज]],[[युद्धमन्यु]],प्रियदर्शन, सुमित्र,चित्रकेतु,सुकेतु, ध्वजकेतु,वीरकेतु ,सुरथ एवं शत्रुंजय।|width1=|नाम=द्रुपद}}
== द्रोण के साथ मित्रता ==
शिक्षा काल में [[द्रुपद]] और [[द्रोण]] की गहरी मित्रता थी। द्रोण ग़रीब होने के कारण प्राय: दुखी रहते थे तो द्रुपद ने उन्हें राजा बनने पर आधा राज्य देने का वचन दिया परंतु कालांतर में वे अपने वचन से न केवल मुकर गए वरन् उन्होंने द्रोण का अपमान भी किया। द्रोण ऐसे शिष्य की तलाश में निकल पड़े जो द्रुपद और उसकी विशाल सेना को हराकर उनके अपमान का बदला ले। पांडव और कौरव बालकों की गेंद कुंए में गिरी तो द्रोण ने अनेक तिनके शृंखला के रूप में कुंए में डालकर उनकी गेंद निकाली। इसके बाद वे उनके गुरु बन गए और शिक्षा पूरी होने पर उन्होंने शिष्यों से गुरु दक्षिणा के तौर पर द्रुपद को हराने की बात कही। शिष्य द्रुपद को बंदी बनाकर लाए तो द्रोण ने अपने अपमान का बदला लेकर क्षमा स्वरूप उसका राज्य उसे लौटा दिया। अपमानित द्रुपद ने यज्ञ करके पुत्री याज्ञसेनी अर्थात् द्रौपदी को पाया और कालांतर में इसी यज्ञ की अग्नि से उत्पन्न द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न ने ही द्रोणाचार्य का वध किया था। इस यज्ञ के कारण ही द्रुपद का एक नाम राजा यज्ञसेन भी था।
== सन्दर्भ ==
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