"पाणिनि": अवतरणों में अंतर
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== कृतियां ==
आचार्य [[पाणिनि]]
1- सूत्रपाठ
2- धातुपाठ
* [[गणपाठ]]▼
4- उणादिपाठ
5- लिंगनुशासन
काव्य- जाम्बवतीय काव्यं
1- अष्टाध्यायी - इसमे सूत्र हैं जो 8 अध्याय एवं प्रत्येक अध्याय 8 8 पाद यानि कुल 32 पाद में विभक्त हैं और कुल लगभग 4000 सूत्र हैं
2- धातुपाठ - यह 10 गणों में विभक्त एवं लगभग 2000 धातुवें हैं
3- गणपाठ- सूत्रपठित गणों का पाठ
4- उणादिपाठ- यह भी सूत्र हि हैं
5- लिंगनुशासन- लिंग निर्धारण विषय
इस प्रकार पाणिनि ने 5 ग्रंथ बनाये जिनमे सबसे प्रमुख और पाणिनि के बुद्धि वैशिष्ट्य को दर्शाने वाला ग्रंथ है अष्टाध्यायी.
[[कात्यायन]] ने पाणिनि के सूत्रों पर वार्तिक लिखे.
[[पतंजलि]] ने पाणिनि के अष्टाध्यायी पर अपनी टिप्पणी लिखी जिसे [[महाभाष्य]] का नाम दिया (महा+भाष्य (समीक्षा, टिप्पणी, विवेचना, आलोचना))।
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