"बराबर गुफाएँ": अवतरणों में अंतर

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1.पशुओं और अलंकरणों का चित्रण
लोमश ॠषि गुफा के घरमुख पर उत्तकिर्ण उन अलंकरणों में सबसे उपर की पट्टिका जालीनुमा (मेहराब) प्रतीत होती है किन्तु जो छिद्र बने हैं वह आर-पर नहीं बल्कि अल्प उत्तकिर्ण हैं। उपर से दुसरे पट्टिका में हाथियों का अंकन है जो दोनों तरफ से केन्द्र की तरफ जाते दिखते हैं। मौर्य कालिन स्थापत्य तथा मूर्ति कला में हाथियों का प्रचुर अंकन देखा जा सकता है। हाथियों का अंकन भगवान बुद्ध के जन्म से काफी निकटता रखता है, जिसे जातक कथाओं में देखा जा सकता है। हाथी स्तूप को दोनों तरफ से केन्द्र की ओर ले जाते अंकित किए गए हैं। यह अंकन बौद्ध धर्म को प्रशारित करने के लिए किए गए प्रयासों को बखूबी दर्शाता है। इस पंक्ति के अंत में निचे दोनों तरफ एक-एक अलग आकृति का अंकन है, जो मगरमच्छ के जैसा दिखाया गया है हालांकि कई किताबों में इसका जिक्र आया है और मैने खुद जाकर देखा पर कुछ भी स्पष्ट नहीं लगा है। यहाँ यह अंकन मुझे एक सवालिया निशान की तरह लगता है। कई अलग कला शैलीयों में मगरमच्छ का अंकन है पर मौर्य कालिन कला में और कहीं भी मगरमच्छ का अंकन नहीं मिलता है, यहाँ इस आकृति का होना मेरे लिए शोध का विषय है।
पटना के निकटवर्ती क्षेत्रों में कुछ पाल कालिन मूर्तियां प्राप्त हुई है जिसमें मगरमच्छ का अंकन है,यह पौराणिक कथाओं से संबंधित है।
2.एक अन्य वास्तु से संबंध
लोमश ऋषि गुफा के बारे में अध्ययन करते समय एक शब्द टोडा का आना एक नए रास्ते की तरह था जो मुझे एक नए आयाम से जोड़ने का काम करती है। टोडा एक दक्षिण भारतीय कबिलाई जनजाति है जो निलगीरी के पहाड़ीयों में निवास करते हैं। यहाँ टोडाओं के आवासीय परिसर का संबंध जोड़ने का प्रयास किया गया है, हालांकि इनके बाड़े में जानकारी नहीं दिया गया है । इनके झोपड़ी की बनावट बराबर की गुफाओं से और आजिवकों के जिवन शैली से टोडास काफी सामान्यता रखती है।